यूपी के जिला बाँदा के तिंदवारी ब्लॉक के ग्राम पंचायत नरी के मंजरा बंसी डेरा के रहने वाले मज़दूरों का कहना है कि उन्होंने लॉकडाउन के बीच मनरेगा के तहत काम किया था। लेकिन तकरीबन चार महीनों से उन्हें उसका वेतन नहीं मिला है। मज़दूर सिर्फ अपने बैंक खाते की तरफ यह आस लगाए देख रहे हैं कि शायद अब उनके खातों में उनके मेहनत की कमाई आ जाए।
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लेकिन उनका यह इंतज़ार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। समस्या को देखते हुए मज़दूर पैलानी ब्लॉक में अधिकारीयों से मिलने भी गए। उन्हें बस अधिकारीयों द्वारा यह कहकर वापस भेज दिया गया कि अगले एक हफ्ते में उनके खातों में पैसे आ जायेंगे। हफ़्ते बीतने पर भी जब उनके खतों में पैसे नहीं आये तो वह गाँव के प्रधान के पास भी मदद के लिए गए। प्रधान द्वारा भी बस उन्हें आश्वासन दे दिया गया कि धीरे-धीरे उनके पैसे मिल जाएंगे। मज़दूरों का कहना है कि त्यौहार के समय भी उन्होंने इधर-उधर से पैसा लेकर त्यौहार मनाया है।
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उनका कहना है कि वह लोग उच्च-अधिकारीयों तक अपनी समस्या को लेकर जाएंगे और जब तक उन्हें अपने हक़ का पैसा नहीं मिलता, वह शांत नहीं बैठेंगे। किसी का 5 हज़ार, 3हज़ार,2 हज़ार वेतन बाकी है। इस मामले में विकासखंड के सहायक अधिकारी राम कुमार का कहना है कि पिछले दिनों कई मज़दूर उनके पास इसी समस्या को लेकर आये थे, जिनसे उन्होंने उनके खाते नंबर लेकर रख लिए हैं। साथ ही कुछ वक़्त में उन्हें उनके वेतन का भुगतान भी कर दिया जायेगा।
जिनके बाकी है, उनके भी वेतन हम जल्द ही दे देंगे। वहीं प्रधान महिपत सिंह का भी यही कहना है कि किसी भी मज़दूर का पैसा बाकी नहीं है, लगभग सभी मज़दूरों का भुगतान किया जा चुका है। जिनका नहीं है, उन्हें भी दे दिया जाएगा। अधिकारी और प्रधान द्वारा यह कहना कि अधिकतर मज़दूरों को वेतन मिल गया है लेकिन उनकी यह बातें मज़दूरों की बातों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाती। अगर अधिकतर मज़दूरों को उनका वेतन समय से मिल गया होता तो उन्हें त्यौहारो में पैसे मांगने नहीं पड़ते। ना ही वह अधिकारीयों के ऑफिस के बाहर चक्कर लगा रहे होते।
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