सुबह से ही महिलाओं के लिए इतने काम होते हैं कि अगर गिना जाए तो थक जाएं। एक काम थोड़ी होता है। सुबह सवेरे जल्दी उठना, झाड़ू-बर्तन करना, किचन का काम जैसे अनेको काम होते हैं। फिर भी कहा जाता है तुम करती क्या हो? तो चलिए महिलाओं से ही जानते हैं कि वह क्या-क्या करती हैं और उन्हें कितना आराम मिलता है।
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अगर आप महिलाओं के खाली समय को नारीवादी नज़रिये से समझना चाहते हैं तो कॉन्टिनेंटलिस्ट की लेटेस्ट डिजिटल स्टोरी ज़रूर से पढ़ें जिसमें दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 शहरों से सराहनीय महिलाओं और संस्थाओं के काम को दर्शाया गया है जो आराम के लिए सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों की मांग कर रहे हैं।
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