महिलाओं को किसानी का दर्जा भले ही नहीं मिलता लेकिन खेती किसानी के काम में हमेशा महिलाए ही आगे होती है| ये एक ऐसा काम है जहाँ पर काम के बहाने महिलाओ को घर से बहार निकलने और एक दुसरे से मिलने दरबार करने का मौका भी मिलता है| जिससे वह काफी खुशी महशूस करती हैं तो आइए जानते है ललितपुर जिले के ब्लाक बिरधा, गांव कलौथरा गांव कि उन महिलाओ से जो एक जुट होकर जानवरों के कांदी मतलब(हरियार) कटने जाती है बतियाते हुए उनका क्या कहना है|
कांदी की खेती कटने आई महिलाए बताती हैं की घरो में इतने काम होते है कि आज कल एक दुसरे के पास बैठने और बतियाने का समय ही नहीं मिलता की एक दुसरे से कुछ हंसी मंजक और दुःख सुख की बाते करी जा सके| इस लिए वह लोग खेतो के काम के साथ ही अपने लिए समय निकलती है घर का काम काज करके 2:00 बजे फुर्सत होकर खेतो में जानवरों के खाने के लिए कांदी काटने 10 महिलाओ की गुट बना कर इकट्ठा होकर हंसते बतियाते हुए खेत जाती है| जिससे एक दूसरे के साथ हर तरह की बाते करने का मौका मिलता है और शाम को एक साथ ही घर आती है जिससे उन्हे बहुत खूशी मिलती है और एक दुसरे के खेतों में घुमने का मौका भी ये उनके कोई एक दिन का नहीं बारह महीने का होता है जिससे न काम का नुकसान न सहेलियों के मिलने और दरबार का एसे होना चाहिए काम के साथ मनोरंजन का मंजा| खेती का काम करना वैसे तो हर किसी के बस की बात नही हैं लेकिन फिर भी ये किसान महिलायें किसी पुरुष से कमज़ोर किसान नही होती हैं लेकिन तब भी महिलाओं को किसानी का दर्जा भले ही नहीं मिलता है इनता माहिर होने के बाद भी निराशा ही हाथ लगती है
-रिपोर्टर सुषमा देवी