जिला बांदा, ब्लाक जसपुरा, गांव मडोली की महिलाओं ने बताया कि आज से 40 साल पहले महिलाओं को बहुत पर्दा करना पड़ता था। आज के इस चउरा दरबार में वह चीज़ें फिर ताज़ा हो गयी।
महिलाओं ने आगे बताया, हमारे जमाने में गेहूं पीसने की चक्की नहीं होती थी। रात में 2 बजे या 3 बजे जैसे आँख खुलती उठकर गेहूं पीसते थे। महिलाएं गीत गाती थी। गीत गाते वक्त टाइम का पता नहीं चलता था और गेंहूं भी जल्दी पिस जाता था। कई बार तो पुरुष उठकर गालियां भी देने लगते थे कि न सोयेंगी न सोने देंगी। लेकिन पुरुषों को तो सिर्फ सोना होता था तो गालियां भी सुन लेते थे। अब वह ज़माना चला गया। गेहूं चक्की लग गई और यह सब विलुप्त हो रहा है।
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