जिला छतरपुर ब्लॉक छतरपुर के ग्राम चंद्रपुरा गांव में 300 आदिवासी ऐसे है जिनके घरों में अभी भी शौचालय नहीं है। जिसकी वजह से घर की महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। रात के समय जाने में जानवरों और किसी दुर्घटना के होने का भी डर रहता है। लेकिन मज़बूरी में आखिर लोग क्या करें।
लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने अधिकारियों और प्राशासन से इस मामले में शिकायत भी की। लेकिन हर बार की तरह उन्हें बस इस बात का आश्वासन दे दिया गया कि उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। पर ऐसा हुआ नहीं। उनका कहना है कि कोई भी बार-बार कहने पर भी उनकी कोई बात नहीं सुनता। ना ही उनकी समस्या को हल करने के लिए किसी भी प्रकार की सुनवाई की जाती है। गांव की महिलाओं का कहना है कि शौचालय ना बनने की वजह से उन्होंने तीन साल पहले चक्का जाम भी किया था।
लेकिन उसका भी कोई परिणाम नहीं निकला। वहीं गांव के प्रधान बुध सिंह का कहना है कि वह सभी महिलाओं को लेकर कलेक्टर ऑफिस जाएंगे। ताकि समस्या का समाधान किया जा सके। 2014 में स्वछता अभियान के साथ ही सरकार ने हर गांव और मोहल्ले में शौचालय बनवाने का वादा किया था। वादे के छह साल बीतने के बाद भी, लोगों के घर में अपना शौचालय नहीं है।
तो क्या सरकार के वादों को झूठा समझा जाए? किसे इस बात का दोष दिया जाए? आखिर कौन लोगों की समस्याओं का समाधान करेगा क्योंकि लोगों की समस्या ना तो अधिकारी सुनते हैं और ना ही गांव का प्रधान। अगर इनके द्वारा लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका निपटारा कर दिया गया होता, तो अलग इतने परेशान नहीं होतें।