महिला किसान रानी का कहना है कि हिम्मत करो, किसी से कमज़ोर न बनो। छोटी-सी फसल भी फायदेमंद है।
35 साल की रानी देवी एक किसान है। वह चित्रकूट जिले के रामनगर ब्लॉक के गांव रेरूवा का पुरवा में रहती हैं। रानी का मानना है कि सरकार की योजना का लाभ मिले या ना मिले, महिलाओं को अपने आप काम करना चाहिए। ज़ाहिर है कि रानी किसी सरकारी योजना या किसी पर निर्भर न रहकर स्वयं पर भरोसा रखती हैं।
रानी के पति की आज से 5 साल पहले टीबी की बीमारी की वजह से मौत हो गयी थी। ऐसे में उनके पर अचानक से सारी ज़िम्मेदारियां आ गईं। उनके तीन बच्चे हैं, दो बेटा व एक बेटी। बेटी सबसे बड़ी है जिसकी उम्र 18 साल है व बेटे लगभग 10 व 8 साल के हैं।
रानी के सामने बच्चों के पालन-पोषण व जीविका की चुनौती थी। ऐसे में उन्होंने सिर्फ खुद पर भरोसा किया, किसी को तलाशा नहीं कि कोई उनका सहारा बने। ससुर से उन्हें एक बीघा खेत मिला हुआ था। किसी से उन्होंने दो हज़ार रूपये कर्ज़ लिया और खेती शुरू कर दी।
उन्होंने बताया, उन्हें किसी भी सरकारी योजना का कभी लाभ नहीं मिला है। न उनके लिए कोई करने वाला है। एक बार उन्होंने कॉलोनी के लिए अप्लाई भी किया था और नाम भी आ गया था। फिर उनसे कहा गया कि उनका नाम लिस्ट से कट गया है।
ये भी पढ़ें – बांदा के जाहिद अली बने किसानों के लिए प्रेरणा
इस समय रानी ने अपने खेत में हरी सब्ज़ियां जैसे करेला, भिंडी, सीताफल व इसके साथ-साथ मूंग की फसल लगा रखी है। वह कहती हैं, उन्होंने दो हज़ार रूपये कर्ज़ लेकर खेती करना शुरू किया था और आज वह खेती से फसल के अनुसार महीने के 10 हज़ार रूपये तक कमा लेती हैं।
खेती से मिलने वाले पैसों से वह अपने दोनों बेटों को पढ़ा रही हैं और अपनी बड़ी बेटी की शादी करना चाहती हैं।
खेती में वह दिन-रात मेनहत-मज़दूरी करती हैं। इस दौरान उन्हें समझ व विश्वास आया कि महिला किसी से कमज़ोर नहीं है। वह काफी खुश हैं और अपना परिवार चला रही हैं।
वह सबसे यही कहना चाहती हैं कि हिम्मत करो, किसी से कमज़ोर न बनो। छोटी-सी फसल भी फायदेमंद है।
इस खबर की रिपोर्टिंग सहोद्रा द्वारा की गयी है।
ये भी पढ़ें – संघर्ष और चुनौती के बीच ‘आराम’ की तलाश करती महिलाएं
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’