खबर लहरिया औरतें काम पर कोरोना माहमारी में अधिकतर महिलाएं हुई बेरोज़गार

कोरोना माहमारी में अधिकतर महिलाएं हुई बेरोज़गार

रात में इनके सर से अंचल तो उतरने को सब तैयार, लेकिन दिन के उजाले में कोई इनके सर पर हाँथ नहीं रखता कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 22 मार्च, 2020 को, पूरे भारत में लॉकडाउन कर दिया गया। रातोंरात हुए इस फैसले से कई लोगों के पास रोजगार संकट खड़ा हो गया. आपको बता दें कि भारत में 70 प्रतिशत आबादी प्रति दिन मात्र ₹150 से कम पर रहती है। इतना ही नहीं यहाँ एक ऐसा हिस्सा भी है जो लगभग लगभग अदृश्य रहता है। हाँ ये है सेक्स वर्कर भारत में लगभग 657,800 सेक्स वर्कर है जिनकी तरफ इस महामारी में किसी का ध्यान नहीं गया।

देश की सबसे पुरानी यौनकर्मियों की सामूहिक संस्था दरबार महिला समिति ने कोरोना के समय सेक्स वर्कर्स की स्थिति को उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर 9 मिलियन से अधिक महिला और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स के लिए राहत उपायों के लिए अनुरोध किया था। किस पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया कि वे तुरंत सूखे राशन, मौद्रिक सहायता के साथ-साथ मास्क, साबुन और सैनिटाइज़र पर जोर दिए बिना उन्हें राहत प्रदान करने पर विचार करें।

पहचान का सबूत। जनता के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत में सेक्स कार्य कोई आपराधिक काम नहीं है। इनके काम के भी कुछ दायरे और कानून होते है. अनैतिक व्यापार (निवारण) 1956 की एक सीमा होती है. यह अधिनियम वेश्यालय के रख-रखाव, यौन कार्य की कमाई पर गुजारा करना, सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति करना और ये काम बिना अपराध किए करने की मंज़ूरी देता है।

फिर भी, सेक्स वर्कर अधिकारियों द्वारा लागू किये जाने वाले कानून से डर कर रहते हैं। इतना ही नहीं अक्सर पुलिस और नेता द्वारा शारीरिक और यौन शोषण किया जाता है। चाहे वो वेश्यालय में रहे या अन्य जगह लेकिन उनकी उपेक्षा के साथ ही होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार काफी संवेदनशील हैं।