दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिन-रात चल रहे धरना के बीच एक बुर्का पहनी महिला के विडियो बनाने का मामला सामने आया है। जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
#WATCH Political analyst Gunja Kapoor extricated by police after protestors at Delhi's Shaheen Bagh alleged that she was wearing a 'burqa' and filming them. #Delhi pic.twitter.com/llRiKhMvOd
— ANI (@ANI) February 5, 2020
दरअसल, बुर्का पहनी यह महिला 5 फरवरी को प्रदर्शनकारी महिलाओं के बीच बैठकर उनसे कुछ सवाल कर रही थी। तभी प्रदर्शनकारी महिलाओं को उस पर शक हुआ और उसकी तलाशी ली गई। तलाशी में उसके पास से कैमरा निकला। बस इसी बात पर वहां हंगामा होने लगा। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने संदिग्ध महिला की सूचना पुलिस को दी। पुलिस फौरन मौके पर पहुंची और महिला को अपनी हिरासत में ले लिया। जानकारी के मुताबिक, महिला का नाम गुंजा कपूर है, जो अपना एक यूट्यूब चैनल चलाती है। अब पुलिस उस महिला से पूछताछ कर रही है।नागरिकता संशोधन बिल को मध्य प्रदेश में रोके जाने पर लोगों ने किया प्रदर्शन
ट्विटर पर पीएम मोदी करते हैं फॉलो
गुंजा कपूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं। खुद गुंजा कपूर ने इस बात का खुलासा किया है। गुंजा ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि नए साल के मौके पर पीएम मोदी ने मुझे फॉलो किया. ये मेरा नए साल का गिफ्ट है।
शाहीन बाग में बुर्का पहन वीडियो बनाते पकड़ी गई हिंदू युवती, ट्विटर पर मोदी करते हैं फॉलो #Delhi #ShaheenBagh #Burqa #GunjaKapoor #NarendraModi #दिल्ली #शाहीनबाग #बुर्का #गुंजाकपूर #नरेंद्रमोदीhttps://t.co/aZcQ4yKrZl
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) February 6, 2020
शाहीन बाग में बुर्का पहन वीडियो बनाते पकड़ी गई हिंदू युवती, ट्विटर पर मोदी करते हैं फॉलो
घटना के दौरान शाहीन बाग धरना स्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने बताया, ‘मौके पर पहुंची महिला कांस्टेबल उसे ले जा रही थी तो महिला ने एक पुलिसकर्मी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘विजय सर, मुझे बचाइए.’ वहां महिला…
धरने पर बैठी महिलाओं का कहना है कि गुंजा कपूर नाम की महिला बुर्के में कैमरा लगाकर वीडियो बना रही थी। उसके पास इस का जवाब नहीं था कि वो बुर्का पहनकर वहां क्यों आई और छुपकर वीडियो क्यों बना रही थी। पुलिस ने अभी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
आपको बताते चलें कि बीते 1 फरवरी को शाहीन बाग इलाके में एक शख्स ने गोली चला दी थी। पुलिस ने आरोपी को उसी वक्त हिरासत में ले लिया था। दिल्ली के शाहीन बाग में फायरिंग करने वाले युवक कपिल गुर्जर की पहचान पुलिस ने रविवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसको दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग में फायरिंग करने वाले कपिल गुर्जर की तीन दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने सिर्फ दो दिन की ही हिरासत दी।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग में धरनास्थल पर दो बार हुई फायरिंग के बाद से पुलिस ने दोनों जगहों पर सुरक्षा जांच बढ़ा दी है। हर रोज आ रही ख़बरों के अनुसार धरनास्थल तक जाने वालों से पुलिस कड़ी पूछताछ करती है। पुलिस लोगों के पहचान पत्र, आधार संख्या, मोबाइल नंबर व घर का पता आदि नोट करती है। ऐसे में लोगों को धरनास्थल पर जाने में यह भी डर लगता है कि कोई बात होने पर वह पुलिस से बच नहीं पाएंगे। वहीं, धरनास्थल तक जाने के लिए प्रदर्शनकारियों की ओर से भी जांच की जाती है। आई कार्ड व आधार नंबर व घर का पता आदि मांगा जाता है।
लखनऊ में CAA और NRC के खिलाफ महिलाओं का विरोध प्रदर्शन जारी। #CAA_NRCProtests pic.twitter.com/78OAqwirXs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 4, 2020
दिल्ली का शाहीन बाग़ हो या लखनऊ का घंटाघर या फिर इलाहाबाद का रौशनबाग! हर जगह महिलाओं का धरना और ही जोरदार होता जा रहा है लोग बढ़चढ़ कर शामिल हो रहे हैं। जहाँ शाहीन बाग से महिलाओं को हिम्मत मिल रही है। लोग और जगह-जगह धरना कर रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ दिल्ली विधानसभा चुनाव करीब आने पर अलग-अलग पार्टियों द्वारा धरना समाप्त करवाने की भी चर्चा सुनने को मिल रही है। पूरे भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध तेज हो गया है, जिससे आम जनमानस भीषणता, क्रूरता और विभिन्न विचारधाराओं के बीच जूझ रहा है। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट करने वालों पर सरकार द्वारा बार्बर रुख अपनाया गया। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस कार्रवाई में यूपी में 20 लोगों की कथित रूप से मौत हो गई है। यूपी के ही एक पुलिस अधिकारी का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्हें स्थानीय मुसलमानों को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि विरोध करने वालों को पाकिस्तान जाना चाहिए। इन सबके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से भी सीएए के खिलाफ विरोध की तमाम खबरें आ रही हैं।
एक तरफ बीजेपी जहां सीएए के समर्थन में में नज़र आ रही है तो वहीं कांग्रेस-सपा हिंसा में मारे गए युवकों के घर जाकर उनका दर्द बांट रही है। हर पार्टी अपने राजनीतिक फायदे-नुकसान के हिसाब से इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य का नागरिक होने के नाते यह हमारा दायित्व है कि आधारहीन भय न फैलाने, सार्वजनिक संपत्तियों को जलाने, पुलिस कर्मियों को मारने और एक नकारात्मक प्रभाव का हिस्सा बनने से बचें। वहीं सरकार की भी जिम्मेदारी है कि इस कानून से जुड़े भ्रम दूर करे।