जिला बांदा इस लॉकडाउन में क्या महिलाओं को मिलेगा आराम?| लॉकडाउन के चलते लोगों की दिनचर्या बहुत ही अजीबोगरीब चल रही है जहां एक तरफ महिलाएं काम में जुटी नजर आती हैं वहीं दूसरी तरफ पुरुष कहीं गेम खेलते तो कहीं फुर्सत में गप्पे लड़ाते,लुडु खेलते और कुछ काम में हांथ बटाते नजर आते| लोगों का कहना है कि जो बाहरी काम और धंधे मजदूरी थी वह इस लॉक डाउन के चलते पूरी तरह ठप चल रही है घरों में जिसके पास खेती किसानी का काम है वह तो हाथ बटा लेता है लेकिन जिसके पास यह काम भी नहीं है वह फुर्सत बैठा आराम करता रहता है और फुर्सत में यही काम है कि लोगों से बातचीत करना या फिर गेम और लूडो खेलना या फिर खाना खाया और सोया इस लिए वह ऐसे ही अपनी दिनचर्या बिताते हैं सुबह 5:00 बजे जगते हैं और फेर्स वगैरह हो करके जो कुछ थोड़ी बहुत काम हुए घर के तो हाथ बटा लिया नहीं बाकी दिन उनका इसी तरह से टाइम गुजरता है| जब लॉक डाउन नहीं होता था तो सुबह घर से फुर्सत होकर खाना पीना खाकर और काम पर निकल जाते थे और पूरा दिन काम में जुटे रहते थे शाम को फिर आकर वही खाना पीना और सो जाना होता था लेकिन इस समय की स्थिति तो यह है कि लोग कहीं घर से बाहर ही नहीं निकल पा रहे तो काम कैसे करेंगे यही कारण है कि वह लोग फुर्सत बैठे हुए हैं जिससे उनका टाइम भी पास नहीं हो रहा| कुछ लोगों का कहना है कि इस समय खेती किसानी का काम चल रहा है तो वह लोग तो सुबह 5:00 बजे जग के और फ्रेश होकर खेतों पर निकल जाते हैं और वहां पर काम करते रहते हैं दोपहर में आते हैं तो नहाते खाते हैं और थोड़ा देर आराम करते हैं फिर खेतों का टाइम हो जाता है तो उनकी दिनचर्या खेत और घर के बीच बीती है और उनको इस बात का कोई पता नहीं चलता कि लॉक डाउन चल रहा है या क्या चल रहा है क्योंकि वह तो बराबर अपने काम में बिजी हैं लेकिन जिन लोगों के पास काम नहीं है और बाहर की मजदूरी और बाहर के धन्धो के सहारे रहते थे उन लोगों का टाइम बहुत ही कम पास हो रहा है इस लिए वह खेलों में या सोने में टाइम बिता रहे हैं जिससे वह किसी तरह मनोरंजन के साथ अपना टाइम भी काट लेते हैं और घर में ही बैठे रहते हैं क्योंकि बाहर किसी के साथ भीड़ में भी नहीं बैठ सकते|