खबर लहरिया Blog क्या शाहीन बाग़ मामले में रास्ता निकलेगा?

क्या शाहीन बाग़ मामले में रास्ता निकलेगा?

दिसंबर 2019 में  संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होने और उसके बाद क़ानून में परिवर्तित होने के बाद से देश भर में इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी हैं. शुरुआत में इसके ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप लिया जिनमें कई लोगों की जानें गईं. लेकिन इसके बाद शाहीन बाग़ समेत देश भर में महिलाओं ने इसके ख़िलाफ़ विरोध शुरू किया.शाहीन बाग़ में पिछले 15 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन हो रहे है जिसकी वजह से दिल्ली और नोयडा को जोड़ने वाला रास्ता बंद है. इस वजह से लोगों को हर रोज़ जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इन समस्याओं के चलते पहले ये मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था और अब सुप्रीम कोर्ट में है.17 फरवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता निकालने के लिए तीन वार्ताकारों ( वकीलों )को नियुक्त किया है।

जो है साधना रामचंद्रन, संजय हेगड़े और वजाहत हबीबुल्लाह .अदालत ने इन लोगों को शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करके इस समस्या का समाधान निकालने को कहा है और इसके लिए चार दिन का समय दिया है. वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन 19 और 20 फरवरी को प्रदर्शनकारीयों से बात करने पहुंचे लेकिन कोई खास रास्ता निकलता नज़र नहीं आया. वे जब अपनी बात रख रहे थे तो हंगामा हुआ। मीडिया को बातचीत के दौरान दूर रहने की हिदायत दी गई। बाद में दोनों वार्ताकारों ने एक-एक कर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।

साधना रामचंद्रन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने कानून मुद्दा नहीं है और  हम उस पर बात भी नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार प्रदर्शन करने का हक सबको है. हमें सड़क बंद होने के मुद्दे पर बात करने के लिए भेजा गया है. हम ये कहना चाहते हैं कि शाहीनबाग बरकरार रहेगा. आप बेशक शाहीनबाग में ही रहें लेकिन जगह बदल दें ताकि लोगों को परेशानी न हो.साधना रामचंद्रन ने कहा कि हम हिंदुस्तान के नागरिक हैं, एक-दूसरे को तकलीफ में नहीं देख सकते. हमारा ईमान है कोशिश करना. पूरी कोशिश के बाद अगर ये मामला नहीं सुलझा तो ये मामला वापस सुप्रीम कोर्ट जाएगा, फिर सरकार जो करना चाहेगी करेगी. हर समस्या का समाधान है. हम चाहते हैं कि हल निकले और शाहीनबाग को बरकरार रखकर निकले, तो सही रहेगा. इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा, नहीं, सड़क नहीं छोड़ेंगे.

संजय हेगड़े ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ये देख रहा है कि शाहीनबाग एक मिसाल होना चाहिए. ये हो कि किसी को तकलीफ हुई तो सबने मिल जुलकर रास्ता निकालें. हम सुन रहे थे कि दो महीने से बैठे हैं, कि आपकी क्या परेशानी है. हम एक-दूसरे की मदद करने के लिए आये हैं. आप ये कह रहे हैं कि यहां से हटेंगे तो कोई सुनने वाला नहीं आएगा? . हम कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हम आपकी आवाज उठाएंगे. हम आपके बीच आकर आपकी बात सुनेंगे, हम पर यकीन रखिए. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रदर्शन का हक़ बरकरार रहे. शाहीनबाग बरकरार रहे पर किसी को परेशानी न हो. सुप्रीम कोर्ट के लिए बहुत आसान था कि पुलिस बुला कर आपको हटवा दे , लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया. कोर्ट भी आपकी बात समझता है. शाहीनबाग में और कहीं भी लोगों को तकलीफ़ हो तो प्रदर्शन होना चाहिए, लेकिन कोर्ट कहता है कि कल नोएडा वाले डीएनडी जाम करके बैठ जाएं तो ऐसे देश नहीं चलेगा. सुप्रीम कोर्ट भी समझता है कि छोटे से कोर्ट रूम में सबको नहीं सुना जा सकता, इसलिए हमें भेजा गया है .

एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा मैं एक हिन्दुस्तानी हूँ. और मेरा फर्ज बनता है कि ये जो कला कानून आया है जो संविधान की धज्जिया उड़ रही है उसके खिलाफ आवाज उठाऊं। महिलाओं ने बताया कि यह लड़ाई में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं सारे हिंदुस्तान की महिलायें है। यहां पर सभी समुदाय के लोग रहते हैं। nrc, caa, npr का असर उन सभी लोगों पर पड़ेगा जो नागरिकता के रिकार्ड नहीं दिखा पाएंगे। 50 से 80 साल की कई महिलाओं ने कहा कि इस सरकार ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि अब  हम लोग अपनी जिंदगी में पहली बार धरना प्रदर्शन के लिए मज़बूर हुए है।

कैसे शुरू हुआ धरना

शमा परवीन बताया ये धरना 15 दिसंबर से शुरू हुआ वो भी तब जब  पुलिस ने जामिया मिलिया के छात्रों पर हमला बोला था।  हमने टीवी पर उस दिन भयानक घटना देखी। हमारी कई साथी है जिनकी बेटियां भी उस घटना में जख्मी हुई है. सर हम सब ने मिल कर तय किया की हमें इस घटना और इस कानून का विरोध करना शुरू किया। अभी वकील समझते के लिए आये हैं. लेकिन केंद्र सरकार से कोई हमसे मिलने नहीं आया. हमें दूसरी जगह प्रदशन करने के लिए कहा जा रहा है. अभी तो कोई हमारी बात सुन नहीं रहा कोई मिलने तक नहीं आया जब हम दूसरी जगह होंगे तब हमें कौन पूछने आएगा।

हालाकिं साधना रामचंद्रन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी मध्यस्थता वार्ता जारी है.  हम कल फिर से शाहीन बाग आएंगे.