तकरीबन 9 दिनों से दिल्ली में किसानों द्वारा कृषि बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। लेकिन अब तक केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने में नाकामयाब रही है। अब यह कहा जा रहा है कि 5 दिसंबर को किसानों द्वारा भारत बंद भी किया जा सकता।
वीरवार, 3 दिसंबर की शाम को आदिवासी सेना के संस्थापक हंसराज मीणा ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रिय किसानों! किसान पुत्रों! किसान शुभचिंतकों! केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अडानी–अंबानी से विभिन्न एग्रीमेंट के समझौते पर हस्ताक्षर करने में चंद मिनट लगाती है। फिर देश के अन्नदाता किसानों की मांग पर समझौते में इतनी देरी क्यों? 5 दिसंबर को देशव्यापी भारत बंद का ऐलान करते हैं“।
इस ट्वीट के बाद भारत बंद के सर्मथन में कई सारे ट्वीट किए गए। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा भारत बन्द को लेकर कोई आधिकारिक तौर पर सूचना नहीं दी गयी है।
5 दिसंबर को होगी अगली बैठक
3 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, अन्य केंद्रीय मंत्रियों और 40 किसान प्रतिनिधियों के बीच किसान बिल को लेकर बैठक हुई थी। बैठक तकरीबन आठ घण्टों तक चली थी। लेकिन इसके बावजूद भी बैठक में कृषि बिल को लेकर कोई समाधान सामने नहीं आया। मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा वाणिज्य और रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल रहें।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमिटी की प्रतिभा शिंडे कहती हैं कि , “हमारी तरफ से बातचीत खत्म हो चुकी है। जब तक सरकार कोई समाधान नहीं निकालती, हमारे किसान प्रतिनिधि आगे की किसी भी मीटिंग का हिस्सा नहीं बनेंगे“। किसानों ने बैठक में सरकार से सांसद में उनके लिए एक अलग सत्र रखने की भी मांग की है।
किसानों ने सरकार द्वारा दिए भोजन को किया मना
वीरवार, 3 दिसंबर की बैठक में सरकार की तरफ से जब किसान प्रतिनिधियों को भोजन के लिए कहा गया, तो उन्होंने सरकार द्वारा दिये गए भोजन को स्वीकार करने से मना कर दिया। एक किसान ने एएनआई एजेंसी को बताया, ” हम सरकार द्वारा दिए जा रहे भोजन और चाय को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। हम अपना भोजन लेकर आए हैं“।
मंगलवार, 2 दिसंबर की हुई बैठक में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। किसान प्रतिनिधियों ने नरेंद्र तोमर सिंह और पीयूष गोयल के साथ चाय पीने को मना कर दिया था। साथ ही उन्हें अपने साथ दिल्ली बॉर्डर पर लगे किसान कैम्प में लंगर करने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह उनके साथ आएंगे तो वह उन्हें जलेबी भी खिलाएंगे और सभी किसान प्रतिनिधि बिना चाय पिये बैठक से निकल गए।
#WATCH | Delhi: Farmer leaders have food during the lunch break at Vigyan Bhawan where the talk with the government is underway. A farmer leader says, "We are not accepting food or tea offered by the government. We have brought our own food". pic.twitter.com/wYEibNwDlX
— ANI (@ANI) December 3, 2020
बुंदेलखंड किसान यूनियन भी शामिल हुई दिल्ली प्रदर्शन में
बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन में अपना सहयोग दिखाते हुए कहते हैं कि सरकार द्वारा पारित किया गया कृषि बिल, काला बिल है। खबर लहरिया द्वारा की गयी 3 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि वह और उनके किसान साथी दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन के लिए रवाना होंगे। प्रदर्शन में अन्य किसान साथियों का साथ देंगे।
अभी तक सरकार की किसानों के साथ कृषि बिल को लेकर चौथी बार बैठक हो चुकी है। लेकिन फिर भी सरकार किसानों की मांग और समस्याओं को लेकर असफ़ल होती दिखी है। किसानों द्वारा कृषि बिल को वापस लेने के लिए अभी तक दिल्ली के कई बॉर्डर जैसे– टिकरी बॉर्डर, गाज़ीपुर बॉर्डर और दिल्ली–यूपी बॉर्डर बन्द किये जा चुके हैं। जिससे कि राजधानी दिल्ली में लोगों को काफ़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है। लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर अटल है। अब सवाल यह है कि क्या कल किसानों द्बारा भारत बंद किया जाएगा? साथ ही क्या कल होने वाली बैठक में सरकार कृषि बिल और किसानों की समस्या को लेकर किसी समाधान पर पहुँच पाएगी या नहीं।