नमस्कार, राजनीति रास राय के इस एपिसोड में आपका स्वागत है। मोदी जी जिस व्यक्ति को बीजेपी पार्टी ने पप्पू साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसी पार्टी ने अब पप्पू को हीरो बना दिया। ये कैसा खेल है जिसमें बीजेपी फिर से फेल हो गई? बड़ी मुश्किल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी जैसे नेताओं को संसद से बाहर निकाला था कि न रहेगी बांस और न बजेगी बांसुरी। आपसे सीधा सवाल करने की हिम्मत रखने वाले राहुल गांधी को फिर से अपने सामने बैठते कैसे देख पाएंगे? बीजेपी के सारे प्लान में पानी फिर गया जब वह 136 दिन के बाद संसद सदस्यता बहाली के बाद 7 अगस्त को संसद पहुंचे।
दिलचस्प बात यह है कि संसद में 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर पर बात करने वाले हैं। अब बीजेपी को इस बात की चिंता है कि राहुल गांधी फिर से प्रधानमंत्री पर सवालों की बौछार लगा देंगे। राहुल गांधी आप कैसे और इतना क्यों बदल गए। ये जो जनता के बीच जाते हैं भारत जोड़ो यात्रा करते हैं, इतने तीखे और धारदार सवाल वह भी प्रधानमंत्री से, तो आप अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं क्योंकि इतना उग्र आप पहले क्यों नहीं हुए? कहीं प्रधानमंत्री बनने का सपना तो नहीं देख रहे हैं? वैसे सपना देखना और वाजिब सवाल पूछना कोई गलत नहीं है।
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आइए जान लेते हैं कि क्यों राहुल गांधी इतने दिन संसद से दूर रहे। पूरा मामला यह है कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
मोदी सरनेम’ वाले बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा और दोष सिद्धि पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसी फैसले के साथ राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई। 136 दिन बाद राहुल गांधी 7 अगस्त को संसद पहुंचे। राहुल गांधी के संसद पहुंचने पर जहां विपक्ष में खलबली मच गई तो वहीं इंडिया गठबंधन के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।
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राहुल गांधी लगातार चर्चा में रहते हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस पार्टी) का एक हिस्सा उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान रहा है, लेकिन देश की मौजूदा राजनीति में विपक्षी दलों का एक बड़ा हिस्सा उन्हें नेता मानने को तैयार नहीं है। अब सबसे बड़ी लड़ाई साल 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। एक तरफ मजबूत नरेंद्र मोदी और भाजपा है, तो दूसरी तरफ बिखरा हुआ विपक्ष। भले ही इंडिया (INDIA) नाम का गठबंधन तैयार हो गया हो जिसमें 26 राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं लेकिन सबको एक बड़े चेहरे की तलाश है। ऐसे में कांग्रेस और राहुल गांधी का क्या होगा, यही सवाल सबसे बड़ा है। यदि कांग्रेस अलग चुनाव लड़ने का फैसला करती है, तो वोटों का बंटवारा होगा और ज़ाहिर तौर पर इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। क्या 2024 में राहुल गांधी पीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं?
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