खबर लहरिया Blog Delhi Services Bill: राज्य सभा में पास हुआ दिल्ली सर्विस बिल, जानें क्या है ये बिल?

Delhi Services Bill: राज्य सभा में पास हुआ दिल्ली सर्विस बिल, जानें क्या है ये बिल?

दिल्ली सर्विस बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े और विपक्ष में 102 वोट पड़े। यह विधेयक, जो आम आदमी पार्टी और केंद्र के बीच विवाद का विषय रहा है, 3 अगस्त को लोकसभा में पारित किया गया था।

राज्य सभा में दिल्ली सर्विस बिल पारित किया गया जिसे लेकर दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने नाराज़गी जताई/ फोटो – सोशल मीडिया

Delhi Ordinance Bill: दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 या दिल्ली सेवा विधेयक (Delhi services bill) 7 अगस्त को राज्यसभा में पारित हो गया। विधेयक के पास होने पर यह कहा गया कि यह दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल के लिए एक बहुत बड़ा झटका है।

जानकारी के अनुसार, बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े और विपक्ष में 102 वोट पड़े। बता दें, यह विधेयक, जो आम आदमी पार्टी और केंद्र के बीच विवाद का विषय रहा है, 3 अगस्त को लोकसभा में पारित किया गया था।

विधेयक पर मतदान विभाजन पर्चियों का इस्तेमाल करके किया गया। विपक्ष ने दिल्ली सेवा विधेयक पर मत विभाजन की मांग की थी।

दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग से निपटने के लिए एक अध्यादेश को बदलने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उच्च सदन में यह विधेयक पेश किया गया था।

ये भी देखें – लोकसभा चुनाव 2024 : गठबंधन और बदलते नामों की राजनीति, सांत्वनाओं का खेल

अध्यादेश को लेकर अलग-अलग राय

अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में प्रभावी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रदान करना है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सर्विस बिल पर जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया है। सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही है। इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है।” उन्होंने कहा, “संविधान कहता है कि केंद्र को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। इस किसी भी में सेवाएं भी आती हैं। संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है।” यह देखा गया कि गृह मंत्री अमित शाह के बयान के दौरान एनडीए सांसदों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए तो उस्ले जवाब में विपक्षी गठबंधन के नेता ‘INDIA-INDIA’ कहने लगे।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां दिए जाने के कुछ दिनों बाद यह अध्यादेश लाया गया।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में समर्थन जुटाने के लिए आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल देशव्यापी दौरे पर निकले थे।

इन पार्टियों ने दिया आप पार्टी को समर्थन

सभी प्रमुख विपक्षी दलों–तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, कांग्रेस, भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
और अन्य ने अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में आप पार्टी को अपना समर्थन दिया था।

केजरीवाल ने जताई नाराजगी

राज्यसभा से दिल्ली सर्विस बिल पास होने के तुंरत बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस बिल के पास होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बीजेपी पीछे के दरवाजे से ये बिल लेकर आई।

केजरीवाल ने कहा, ”पीएम मोदी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानते। जनता ने साफ कहा था कि केंद्र उन्हें हरा कर दिल्ली में दखल न दे, लेकिन पीएम सुनना ही नहीं चाहते।”

दिल्ली सर्विस बिल को लेकर जानें पूरा मामला

यह पूरा मामला यह है कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। साथ ही अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे। इस फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया। सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया। बता दें, दिल्ली सर्विस बिल कानून बनने के बाद इसी अध्यादेश की जगह लेगा।

दिल्ली सर्विस बिल में हुए कई बदलाव

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) में सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं। जैसे सेक्शन- 3ए जो अध्यादेश का हिस्सा था, उसे विधेयक से हटा दिया गया है। अध्यादेश के सेक्शन-3-ए में कहा गया था कि किसी भी अदालत के किसी भी फैसले, आदेश या डिक्री में कुछ भी शामिल होने के बावजूद विधानसभा को सूची-2 की प्रविष्टि 41 में शामिल किसी भी मामले को छोड़कर आर्टिकल 239 के अनुसार कानून बनाने की शक्ति होगी।

पिछले अध्यादेश के तहत NCCSA को संसद और दिल्ली विधानसभा में सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करना जरूरी था। हालांकि विधेयक इस अनिवार्यता को हटा देता है, जिससे रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखे जाने की जरूरत ही नहीं रहेगी।

प्रस्तावित बिल में सेक्शन 45-डी दिल्ली में अलग-अलग अथॉरिटी, बोर्डों, आयोगों और वैधानिक निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित है। इस बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है। बिल में नए जोड़े गए प्रावधान के तहत अब NCCSA समिति की सिफारिशों के अनुसार दिल्ली सरकार के बोर्डों और आयोगों में नियुक्तियां और तबादले करेंगे। इस समिति में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव सदस्य होंगे और उसकी अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke