खबर लहरिया जवानी दीवानी सोशल मीडिया पर क्यों है अपनी बात कह पाना आसान?

सोशल मीडिया पर क्यों है अपनी बात कह पाना आसान?

सोशल मीडिया के जरिये लोग अपनी बात को आसानी से कह तो देते हैं पर यह कितना खतरनाक या अब्यवहारिक है इसका किसी को कोई अंदाजा भी नही है।

लोकप्रियता के प्रसार में सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है। आज फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। वीडियो तथा ऑडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई है जिनमें फेसबुक, व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।

हमे पता है कि कई बार इसका अच्छा असर होता है और कई बार बुरा भी असर होता है, पर फिर भी लोग इसका पीछा नही छोड़ रहे है। उन्हें लगता है कि यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर अपनी बात आसानी से कही जा सकती है। अब हम कितना बदल गए है, सब जानते हुये भी किसी को किसी की भी कोई परवाह नही रही।सोशल मीडिया हथियार भी, सिरदर्द भी

लोगो का कहना है कि सोशल मीडिया पर हम अपनी बात को पूरी तरह से खुलकर रख सकते है। जब की वही बात सामने नही बोल बाते है, अगर बोलते है तो घुमाफिरा कर या शॉट में कहते है, डर होता है कोई बहस न हो जाये, कई बार सामने ऐसे ब्यवहार करना पड़ता है जैसे किसी ने कुछ किया भी न हो। सोशल मीडिया ऐसी जगह है जहां पर कोई भी पोस्ट डालते ही हजारों करोड़ो लोगो के पास पहुँच जाती है।

कई बार लोग स्पोर्ट करते है कई बार विरोध भी करते है। अगर किसी ख़बर को अधिकारी ने सज्ञानता ले लिया तो कारवाही हो जाती है। अच्छा असर भी पड़ता है। कई बार बुरा असर पड़ता है। जैसे किसी के लिए बार बार लिखोगे तो उसकी नजरो में चढ़ जाना होता है। और उसका अंजाम बहुत बुरा होता है।