किसान आत्महत्या के आकड़े क्यों छुपा रही है सरकार?कहने को तो हमारा भारत एक कृषि| लेकिन यहां पर खासकर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय है जिसके चलते किसान कर्ज में डुबता जा रहा है और किसानों की आत्महत्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं|
किसानो का कहना है की एक दसक हो रहे है किसान सुखा ओला दैवी आपदा जैसी समस्याओं के चलते खेती किसानी से खाने भरो को नहीं पुजा पा रहा जिसके चलते कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा और फिर कर्ज भरने के लिये बैंक से हो य बहार से दवा होने लगते है| इस लिए वह ये सदमा बर्दाश नहीं होता तो मौत चुनते है|
सरकारे चुनाव के समय बडे बडे दावे करती है| चाहे किसानों कि कर्ज माफी को लेकर हो य किसी विकास कार्य कै लेकिन हर जगह किसान ही मारा जाता है| क्योंकि कर्ज दिन रात बढता है र बहुत से गरीब जो छोटे किसान है और पढे लिखे नहीं है|
उनको पता भी नहीं होता कि वह कितने का लोन लिए है और वह दलालो के बीच से लोन लेते है| खेती मै पैदावार न होने के कारण कर्ज का बोझ और दुसरी तरफ किसानो की ही जमीन छीन कर विकास कर्ज कराया जाता है और उनके मनमुताबिक मुआवजा नहीं दिया जाता जिससे किसान बहुत ही परेशान है और मौत को गले लगता है
| नेशनल क्राइक रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2016 में भारत में 6,351 किसानों/ खेती करने वालों ने खुदकुशी की है। यानी हर रोज 17 किसानों ने खुदकुशी की है।यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2015 में यह आंकड़ा 8,007 यानी हर दिन 22 किसान आत्महत्या कर रहे थे।
यानी खुदकुशी के आंकड़ों में 21 फीसदी की गिरावट है. वर्ष 2015 तक किसानों की खुदकुशी की रिपोर्ट अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो उसके वेबसाइट पर मौजूद है लेकिन 2016 से लेकर 2019 तक की कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से देखने की जरूरत है और इस समस्या को दूर करने के लिए किसानों की आत्महत्या के कारणों को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
भारत में किसानों की आत्महत्या के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। इन आत्महत्याओं के पीछे कई कारण हैं जिनमे प्रमुख है अनियमित मौसम की स्थिति, ऋण बोझ, परिवार के मुद्दों तथा समय-समय पर सरकारी नीतियों में बदलाव।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे देश में, जहां कुल आबादी का लगभग 70% प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, किसान आत्महत्या के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। देश में कुल आत्महत्याओं का 11.2% हिस्सा किसानों की है जो आत्महत्या कर रहे हैं।