खबर लहरिया क्राइम क्यों नहीं होती बयानों के आधार पर कार्यवाही- जासूस या जर्नलिस्ट

क्यों नहीं होती बयानों के आधार पर कार्यवाही- जासूस या जर्नलिस्ट

बांदा जिले के पैलानी थाना अंतर्गत आने वाले एक गांव में 16 अक्टूबर 2022 को एक लड़की के साथ छेड़खानी का मामला सामने आया इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार थाने से डीआईजी तक गया लेकिन कार्यवाही के नाम पर उसकी एक भी नहीं सुनी गयी तब जाकर मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 156 (3) का मुकदमा दर्ज किया।  कहीं 3 महीने बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई की।  24 जनवरी 2023 को लड़कियों के बयान लिए गए है। तो क्या आप भी सुनना और जानना चाहेंगे इस घटना के पीछे की कहानी?

मेरी जासूसी में निकल कर आया कि घटना के बाद पीड़ित परिवार को 10 दिन तक बराबर थाने बुलाया गया। हर रोज पीड़ित परिवार थाने आता और दिन-दिन भर अपना घर का काम-काज छोड़े बैठा रहता। शाम को वापस चला जाता, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। जब थाने से सुनवाई नहीं हुई तो पीड़ित परिवार एसपी के पास गया। वहां यह कहा गया कि देखा जाएगा लेकिन वहां से भी कोई पैरवी नहीं हुई। इसके बाद पीड़िता ने डीआईजी का दरवाजा खटखटाया। डीआईजी ने उनको कोर्ट की सलाह दी और पीड़ित परिवार ने कोर्ट में 156 (3) का मुकदमा दर्ज कर दिया। कोर्ट के आदेश पर 23 जनवरी 2023 को पुलिस द्वारा आरोपियों के घर में छापा डाला गया लेकिन आरोपियों को पहले से ही सुराग लग गया और वह घर से भाग खड़े हुए।

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मेरी जासूसी में निकल कर आया कि 16 अक्टूबर को दो बहनें खेत से चारा लेकर घर जा रही थी। बड़ी बहन पीछे थी और छोटी बहन आगे थी। लगभग 300 मीटर का फासला था और खेत के रास्ते तो आप सभी जानते हैं कि अगल-बगल झाड़ियां पेड़-पौधे जंगल का इलाका होता है। उस बीच जो छोटी लड़की आगे थी उसे गांव के ही भारत उर्फ योगेंद्र पाल जो तमंचा लिए था और विनोद पाल एक अज्ञात व्यक्ति जो मुंह में कपड़ा बांधे था तीनों ने घेर लिया। लड़की के सर से चारे का बोझ गिरा दिया और उसे घसीट कर खेतों की तरफ ले गए। उसे जमीन पर पटक दिया और उसके कपड़े फाड़ दिए। यहां तक कि उसके गुप्त अंग में भी छेड़छाड़ की तभी पीछे आ रही बड़ी लड़की चिल्लाती हुई पत्थरों से हमला करने लगी। यह देख आरोपी उन लड़कियों को तमंचा दिखाते हुए भाग खड़े हुए और यह कहा कि अगर कहीं पर कार्यवाही करोगी तो तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जान से मार देंगे।

फिर भी डरी सहमी रोती बिलखती लड़कियां किसी तरह घर आई और घर में अपने परिवार को पूरी आपबीती बताई। पिता उसी दिन तुरंत थाने पहुंचे लेकिन पुलिस ने टाल-मटोल करके उन्हें वहां से भगा दिया। इसी तरह 10 दिन तक टहलाते रहे जबकि पुलिस को तो उसी दिन मुकदमा लिख देना चाहिए था। आरोपी इंस्ट्राग्राम पर अपनी फोटो के साथ लिख कर डालते हैं कि जेल जाने से पहले कुछ ना कुछ करके जाएंगे और लड़कियों को बदनाम कर देंगे।

जासूसी में यह भी निकल कर आया कि 21 जनवरी 2023 को पुलिस द्वारा लड़की का डॉक्टरी परीक्षण भी कराया गया है और यह तब संभव हो पाया जब पीड़ित परिवार ने कोर्ट का सहारा लिया। अब पीड़ित परिवार चाहता है कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा हो और उन्हें न्याय मिले जिस तरह से उनकी लड़की के साथ घिनौनी हरकत की गई है ताकि आगे इस तरह की घटना को अंजाम देने से पहले अपराधी 10 बार सोचे और उनके मन में डर पैदा हो।

अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार जब थाना,एसपी ऑफिस और डीआईजी ऑफिस सब बने हुए हैं तो फिर क्यों इनमें पीड़ित परिवारों को गुमराह किया जाता है? क्यों उनके बयानों पर कार्यवाही नहीं की जाती और उनको कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है? आखिरकार कब तक पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटकते रहेंगे और कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होते रहेंगे, तो यह थी मेरी आज की जासूसी भरी कहानी। अगली बार फिर मिलूंगी किसी नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए दीजिए इज़ाज़त नमस्कार!!

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