2022 जाते-जाते फिर से बड़े घाव दे रहा है। नवम्बर का महीना महिलाओं और लड़कियों के मर्डर, आत्महत्या और हिंसा से भरा रहा। अखबार और सोशल मीडिया में ऐसे घटनाओं की चीख पुकार सुनाई दे रही है। ऐसे ही तीन बड़ी घटनाएं जिनका ज़िक्र बहुत हो रहा है। तीनो घटनाओं को अंतर्जातीय प्रेम और शादी मर्डर से जोड़ा जा रहा है।
9 नवम्बर को श्रद्धा वालकर मामला का खुलासा होता है। खबरों के मुताबिक़ 18 मई को आफ़ताब पूनावाला ने कथित तौर पर गला घोंटकर श्रद्धा को मार डाला था और उसके शरीर के 35 टुकड़े करके दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर उन्हें आधी रात के बाद शहर में कई जगहों पर फेंकता रहा था। परिवार ने रिपोर्ट लिखवाई पुलिस आफताब को हिरासत में लेकर जांच में जुट गई है।
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17 नवंबर को एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। उत्तर-प्रदेश के मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर सूटकेस में एक लड़की की लाश मिली है। पुलिस के छानबीन और खबरों के मुताबिक़ यह लाश आयुषी यादव मूल रूप से यूपी के गोरखपुर की रहने वाली थी, लेकिन वह अपने परिवार के साथ दिल्ली के बदरपुर थाना क्षेत्र के मोलड़बंद क्षेत्र में रह रही थी। कई खबरों में यह भी कहा गया कि आयुषी यादव की हत्या उसके बाप ने की है। वहीं बाप को हिरासत में भी ले लिया गया है।
महिला पत्रकार श्वेता यादव की मौत की खबर से भी लोग हैरान हैं। श्वेता के जानने वाले इस खबर पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर हमेशा हंसने मुस्कुराने वाली शख्सियत ने जिंदगी की परीक्षाओं से हार कैसे मान ली? बता दें, श्वेता यादव ने ग्रेटर नोएडा में मंगलवार को 16वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। हालांकि चर्चा इस बात पर भी हो रही है कि श्वेता की मौत के पीछे कोई साजिश है। श्वेता ने अपने फेसबुक के इंफो में एक लाइन लिखी है जिससे उनकी मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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दोस्तों ये घटनाएं सिर्फ उदारहण के तौर पर हैं और भी कई घटनाएं हैं जिसका अभी खुलासा नहीं हुआ है। मैं बात करना चाहती हूँ इन बढ़ती घटनाओं की। जब एक घटना होती है उसके बाद एक के बाद एक घटनाएं सामने आने लगती हैं। ऐसा लगता है कि लोग एक-दूसरे की नकल करके घटनाओं को अंजाम देते हैं। ये तीन घटनाएं इसलिए उदाहरण के रूप में शामिल है। हर घटना का दुःख भी समाज जता रहा है और मज़े भी ले रहा है। हर घटना को प्रेम और अंतर्जातीय से जोड़ा जा रहा है। तीनों लड़कियों का जमकर मज़ाक भी उड़ाया जा रहा है। ये मर्डर ऐसे ही होना चाहिए, ऐसी चर्चाएं भी हो रही हैं। अब आप ही बताईये अगर इन्सान की मानसिकताएं नहीं बदलेगी तो क्राईम कम कैसे होगें? चर्चा करते समय कोई कभी ये क्यों नहीं सोचता है कि हम भी तो इसी समाज का हिस्सा हैं। क्या पता कब हमारे बच्चे भी ऐसा ही कर बैठे।
देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाली शारीरिक और यौन हिंसा को लेकर हालिया नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) एन.एफ.एच.सी के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक कभी स्कूल न जाने वाली 40 प्रितशत महिलाओं को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। जबकि जिन महिलाओं ने स्कूली पढाई की होती है उनमें हिंसा के मामले 18 प्रतिशत देखे गये हैं। सर्वे के मुताबिक, 18 से 49 साल की लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें 15 साल की उम्र के बाद शारीरिक हिंसा (Domestic Violence) का सामना करना पड़ा है। 6 फीसदी महिलाओं को जिंदगी में कभी न कभी यौन हिंसा झेलनी पड़ी, लेकिन महज 14 फीसदी महिलाएं ही ऐसी रहीं, जिन्होंने अपने साथ हुई शारीरिक या यौन हिंसा के बारे में बताया। सर्वे ये भी बताता है कि अकसर शराब पीने वाले 70 फीसदी लोग ऐसे होते हैं, जो पत्नियों के साथ शारीरिक या यौन हिंसा करते हैं। महिलाओं (Women) के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में पति ही ज़िम्मेदार देखा गया है।
दोस्तों आपको क्या लगता है इस मुद्दे पर क्या आपके पास भी कुछ सवाल है आप मुझे ज़रूर से बतायें।
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