खबर लहरिया Blog चित्रकूट: गौशाला में व्यवस्था सुधारने के लिए ग्रामीणों द्वारा लगाए गए पैसों का नहीं हुआ भगतान

चित्रकूट: गौशाला में व्यवस्था सुधारने के लिए ग्रामीणों द्वारा लगाए गए पैसों का नहीं हुआ भगतान

नवंबर के महीने में इन लोगों ने मऊ तहसील में एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था, लेकिन वहां से भी किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है।

ज़िला चित्रकूट के ब्लॉक मऊ के गाँव मबई कला में ग्रामीणों का आरोप है कि गौशाला में जानवरों को ठंड से बचाव के लिए पिछले साल यानी दिसम्बर 2020 में पैरा (पुआल) लाने का कार्य ग्रामीणों को सौंपा गया था जिसके लिए ग्रामीणों से 500 रूपए भी लिए गए थे। लेकिन अबतक ग्रामीणों को पैसे वापस नहीं मिले हैं जिससे ये लोग काफी परेशान हैं। इसी गाँव के निवासी हरिश्चन्द्र पासी ने हमें बताया कि पूर्व प्रधान और सचिव ने ग्रामीणों से 1 ट्राली पैरा और चारा मंगवाने के लिए पांच-पांच सौ रूपए देने की बात तो कही थी, लेकिन अब तक लोगों को ये रकम वापस नहीं मिली है।

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ज्ञापन देने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई-

ग्रामीणों की मानें तो पूर्व प्रधान रामनरेश का कार्यकाल भी अब ख़तम हो चुका है लेकिन लोगों को पैसे नहीं मिले। इन लोगों ने अपने पैसे वापस लेने के लिए कई बार आवाज़ भी उठाई लेकिन आश्वासन के अलावा इन लोगों को और कोई राहत नहीं मिली है।

गाँव के ज़्यादातर लोग सिर्फ किसानी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं, ऐसे में 500 रूपए इन लोगों के लिए बड़ी रकम है। इन लोगों ने भी यह सोच कर अपने पैसे दे दिए थे कि ठण्ड में पशुओं को पैरा और चारे से थोड़ी राहत मिल जाएगी, लेकिन इन्हें यह नहीं पता था कि पैसे लौटाने के नाम पर प्रधान और सचिव चुप्पी साध लेंगे।

इस मामले को अब एक साल होने को आया है लेकिन ग्रामीणों का पैसा वापस नहीं किया गया है। नवंबर के महीने में इन लोगों ने मऊ तहसील में एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था, लेकिन वहां से भी किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है।

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गौशाला में इस साल भी नहीं हुआ है कोई इंतज़ाम-

गाँव के किसानों ने बताया कि पेट्रोल-डीज़ल महंगा होने के कारण इन लोगों को खेतों की सिंचाई करने में भी काफी परेशानी हो रही है। ऐसे में अगर किसी प्रकार की आर्थिक सहायता मिलती है तो इन लोगों की फसलें ख़राब होने से बच जाएंगी। यही कारण है कि ये लोग अपने पैसों के लिए दर-दर गुहार लगा रहे हैं।

इस साल भी अभी तक अन्ना जानवरों के लिए प्रशासन द्वारा कोई इंतज़ाम नहीं किया गया है। और जैसे-जैसे ठण्ड बढ़ रही है, इन पशुओं को भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। गाँव के लोग भी इतने असहाय हैं कि वो इस साल पशुओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पा रहे। ऐसे में गाँव के लोग यही चाहते हैं कि जल्द से जल्द ग्रामीणों को उनके पैसे वापस मिल जाएँ। इसके साथ ही गाँव के पशुओं को ठण्ड से बचाने के लिए भी गौशाला में कोई इंतज़ाम करवाया जाए।

पूर्व प्रधान रामनरेश का कहना है कि उन्होंने भी पिछले साल 15 किलो पैरा गौशाला में डलवाया था जिसका भुगतान उन्होंने अपनी जेब से करा था। प्रधान की मानें तो प्रशासन की तरफ से उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि प्रधान और ग्रामीणों दोनों के पैसे खाते में डलवाए जाएंगे। लेकिन उनके पास कोई पैसे नहीं आये, और इसी कारण वो अब लोगों को भी उनके पैसे लौटाने में असक्षम हैं। रामनरेश का कहना है कि अब तो उनकी प्रधानी भी चली गई है और उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।

सचिव अनुराग पाण्डे का कहना है कि हरिश्चन्द्र गौशाला में चारा और पैरा देने के बारे में अगर कहीं लिखित में होगा तो ग्रामीणों को उनका पैसा ज़रूर मिल जाएगा। ग्रामीणों को सचिव के पास आकर पूर्व प्रधान से लिखित फाइल लाकर विभाग में जमा करानी होगी, जिसके बाद सभी लोगों के पैसों का भुगतान कर दिया जाएगा।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है।

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