टीकमगढ़ जिले के गाँव में आज भी अधिकतर ग्रामीणों को आवास नहीं मिले हैं। साथ ही लोग पानी की समस्या से भी जूझ रहे हैं।
टीकमगढ़ जिले के ब्लॉक जतारा के ग्राम पंचायत दरगाह कलां मुहल्ला कौड़िया में लोग छप्पर रखकर रह रहे हैं उनका कहना है कि इस सर्द मौसम में उन्हें बहुत दिक्कत हो रही है। सिर्फ आवास ही नहीं इस गाँव में पानी, पेंशन और भी कई अन्य समस्याएँ हैं जिससे लोग परेशान हैं।
कौड़िया के रहने वाले सुखन आदिवासी ने बताया कि;हमारा आज तक आवास नहीं आया है हमारी उम्र पचास साठ साल हो गई। वोट हर पंचवर्षीय में डालना पड़ता है लेकिन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है। हम छोटे-छोटे कच्चे घरों में रह रहे हैं इतनी उम्र में कई पंचवर्षीय निकल गई लेकिन आवास नहीं मिला। एक छोटे से मकान में 2 बच्चे और हम दो पति-पत्नी रहते हैं मेहमान आ गये तो संख्या बढ़ जाती है। फिर अलग से पन्नी का तम्बू बनाना पड़ता है ऐसे कब तक चलेगा। सरकार क्यों ध्यान नहीं देती है।
सुखन आदिवासी का कहना है कि गांव के सरपंच और सिक्रेटरी उनके घर की फोटो खींच कर ले गए थे और सारे कागज भी जमा किये थे। बोल रहे थे आवास आयेगा लेकिन अभी तक नहीं आया। इतनी आय नहीं है कि खुद से आवास बना पायें। बाहर पलायन करके गुजारा करते हैं और अभी भी गाँव के कुछ लोग बाहर गये है। यहां पर कुछ काम भी नहीं मिलता है तो यहां पर रहकर कैसे बच्चों का भरण पोषण करे। इसलिए वह चाहते हैं कि जब सरकार कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को घर दे रही है तो उन्हें भी दिया जाये।
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बुढ़ापे का सहारा पेंशन की मांग
70 वर्षीय गुलियां अहिरवार बताते हैं कि उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिलती है। बुढ़ापे में किसका सहारा करें अगर उन्हें पेंशन मिलती तो उन्हें किसी का मुंह न ताकना पड़ता। जब सरपंच से कहते हैं तो गाँव के सरपंच कहते हैं कि तुम्हारा बीपीएल कार्ड नहीं है इसलिए पेंशन नहीं बन पाएगी। उन्हें बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए भी कई बार कहा है आश्वासन दे देते हैं बनवाते नहीं हैं। बुढ़ापे में पेंशन ही सहारा होती है उस लाभ से वंचित हैं।
गुलियां का कहना है कि पूरे गाँव में एक ही हैंडपंप है और लगभग 40-50 घरों का परिवार पानी भरता है। दिसम्बर महीने से ही हैंडपंप जवाब दे रहे हैं और फरवरी आने तक लोगों को इधर-उधर पानी के लिए भटकना पड़ता है। गांव के जिम्मेदार लोग भी इधर से निकलते रहते हैं लेकिन समस्या नहीं देखते। जब चुनाव का समय आता है तो बड़े -बड़े नेता लोग आते हैं और कह जाते हैं कि हम लोगों को जीतने के बाद तुम्हारे गांव की समस्या का समाधान किया जायेगा। फिर जीतने के बाद देखने के लिए भी नहीं आते हैं कि जनता किस तरह से रह रही है।
प्रशासन से लगाई गुहार
मैं गांव के जिम्मेदार लोगों से और जिला शासन-प्रशासन से निवेदन करना चाहते हैं कि हमें रहने के लिए और गुजारा करने के लिए वृद्धा पेंशन और पानी के लिए हैंडपंप की व्यवस्था की जाये या फिर किसी भी योजना के अंतर्गत पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाये जिससे सभी मुहल्ले वालों को पानी की सुविधा मिले और इधर उधर भटकना नहीं पड़े।
बारिश थमने के इन्तजार में गुजर रही रात
मालती आदिवासी बताती हैं कि वह कच्चे खपरैल के घर में रहती हैं। उनका कहना है कि हम तो मोबाइल पर देखते हैं कि सरकार कहती है कि कच्चे घरों में रहने वालों को पक्का मकान दिया जाएगा। लेकिन देखने को मिल रहा है जिनके पास पक्के मकान हैं शासन से पहचान है उन्हीं को आवास मिल रहा है चाहे वह अपात्र ही हो। ऐसा लगता है गरीबों की योजना सिर्फ कागजों में गरीबों की है बाकी देखा जाए तो लाभ अमीरों को ही मिल रहा है। घर की स्थिति ऐसी है की बरसात में घरों में पानी भर जाता है। कभी -कभी तो बैठे बैठे रात गुजारनी पड़ती है। अगर सरकार कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को पक्का मकान दे रही है तो यहाँ भी जांच होनी चाहिए ताकि पता चले की यहाँ के लोग किस तरह से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।
आवास प्लस में जोड़ा गया नाम
जब ग्राम पंचायत दरगाह कलां सचिव शोभरन सिंह ठाकुर से बात की तो उनका कहना है कि कौड़िया में लगभग 20 लोगों का 2011 की जनगणना सूची में नाम था उनके आवास बन चुका है। इसमें सभी समुदाय के लोग शामिल हैं। बाकी लोगों का आवास प्लस में नाम जोड़ दिया गया है। जब शासन के द्वारा नई सूची प्राप्त होगी उस सूची के आधार पर आवास दिया जायेगा।
इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।
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