कम लागत में ज़्यादा कमाई हर कोई चाहता है, यही वजह है कि मधुमक्खी पालन आज की तारीख में रोज़गार का अच्छा विकल्प साबित हो रहा है वाराणसी जिले में भी एक परिवार ने 10 डिब्बे से मधुमक्खी पालन का रोजगार शुरू किया था पर आज 150 डिब्बे मधुमक्खी पालन कर रहे हैं |
आइए जानते हैं इस परिवार की सफलता का राज
जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगाँव, गाँव नारायनपुर में लोग कम मेहनत से ज्यादा रोजगार कर कमाई कर रहे हैं। यहाँ लोग मधुमक्खी को लक्ष्मी मानते हैं। यहाँ के मोहित आनन्द पाठक, सुशीला और चन्दा कहना है कि दो साल पहले मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग ली और मै घर आकर बीस डिब्बे से मधुमक्खी पालन चालू किया। जो दो हजार रुपये मे एक डिब्बा मिलती है। मधुमक्खी लेने से पहले आप को टेनिग लेनी बहुत जरुरी है ताकी आप को इसके बारे में पता हो। आज हमारे पास 150 डिब्बे हैं जिससे शहद होता है।
मधुमक्खी पालन से होता है फायदा
दिसंबर से फ़रवरी तक मधुमक्खी पालन होता है। इस समय सरसों का फूल है इससे काफी मात्रा में शहद होता है। और एक हप्ते मे एक डिब्बे से दो से ढाई किलो तक शहद निकल पाता है। और सहद का दाम पांच सौ से कम नही है और दवा भी आती है। जो कि छिडकाव भी किया जाता ताकी साफ सुथरा रहे। और कोई बिमारी ना फैले खाने के लिए। हर तीन दिन मे हलका चीनी का घोल बनाकर छिडकाव किया जाता है। सुशीला का कहना है कि मंहगाई देख के मन में आया कि हम लोग बैठ के क्या करते और कोई रोजगार नही। अब तो पालने में भी ठीक लगता है और अपने पास भी घर बैठे कुछ रोजगार है।