इस गर्मी और उमस के मौसम में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है। उनके गाँव में किसी भी समय बिजली काट दी जाती है और फिर 3-4 घंटों के बाद ही आती है।
उत्तर प्रदेश के ज़िला वाराणसी में बारिश का मौसम शुरू होते ही लोगों की परेशानियां दोगुनी हो जाती हैं। बरसात में जगह-जगह पानी भरने की समस्या से तो लोग जूझ ही रहे थे वहीँ अब गावों में बिजली कटौती की समस्या भी देखने को मिल रही है। ऐसे में लोगों को दिन-रात गर्मी में बैठे रहना पड़ रहा है और मच्छरों का भी सामना करना पड़ रहा है।
3-4 घंटे गायब रहती है बिजली-
ब्लाक चोलापुर के गाँव दुर्गा नगर जगदीशपुर के रहने वाले प्रमोद का कहना है कि इस गर्मी और उमस के मौसम में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है। उनके गाँव में किसी भी समय बिजली काट दी जाती है और फिर 3-4 घंटों के बाद ही आती है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि बारिश होते ही गाँव के ज़्यादातर घरों में पानी भर जाता है और बिजली काट दी जाती है, ऐसे में अँधेरे में कई बार लोग पानी और कीचड़ में फिसल भी गए हैं। ग्रामीणों के कई बार विभाग से शिकायत करने के बावजूद भी अबतक बिजली विभाग की तरफ से बिजली व्यवस्था को ठीक कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इसी गाँव के रहने वाले संतोष कुमार ने हमें बताया कि पिछले कई महीनों से उनके गाँव में बिजली कटौती की समस्या बनी हुई है। इन लोगों ने पूरी गर्मी बिना पंखे और कूलर के निकाल दी थी और अब बरसात के मौसम में भी इन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है। संतोष ने हमें बताया कि बिजली का बिल तो हर महीने आता है लेकिन लाइट नहीं आती है।
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महंगाई की मार से भी जूझ रहे ग्रामीण-
गाँव दुर्गा नगर जगदीशपुर की ही रहने वाली रानी का कहना है कि पहले तो मिट्टी का तेल कोटे से मिल जाता था तो बिजली न होने पर इतनी दिक्कत नहीं होती थी लेकिन अब तो पिछले 2 सालों से मिटटी का तेल भी नहीं मिलता, ग्रामीणों को मोमबत्ती या टोर्च हर समय अपने पास रखना पड़ता है। उनका कहना है कि इस गाँव में रह रहे लोगों की इतनी आय नहीं है कि वो हर थोड़े दिन पर टोर्च में नए सेल डलवा सकें। ऐसे में बिजली न आने पर कई घर तो घंटों तक अँधेरे में होते हैं।
सावित्री का कहना है कि महंगाई इतनी बढ़ गई है कि सरसों का तेल भी 200 रूपए प्रति किलो मिलता है, ऐसे में ये गरीब परिवार या तो इस तेल का इस्तेमाल खाना बनाने में कर लें या फिर दिया जलाने में। उन्होंने हमें बताया कि गाँव में लगे बिजली के खंभे भी पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं लेकिन उनकी मरम्मत के लिए कभी कोई कर्मचारी नहीं आता। सावित्री ने हमें यह भी बताया कि कई बार ग्रामीणों ने विद्युत विभाग जाकर बिजली कटौती को कम करने की मांग भी करी लेकिन विभाग के अधिकारियों ने हर बार बस यह दिलासा ही दी कि जल्द ही बिजली की समस्या को ठीक करा जाएगा परन्तु अबतक इसमें सुधार के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
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कई ग्रमीणों ने हमें यह भी बताया कि बिजली की समस्या के चलते लोगों को पानी भरने में भी काफी दिक्कतें हो रही हैं। जब लाइट चली जाती है तब पानी का मोटर भी नहीं चल पाता और ग्रामीणों को पानी भरने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। इन लोगों ने हमें यह भी बताया कि जब घंटों के बाद लाइट आती है तब जिन घरों में मोटर लगा हुआ है वहां पानी भरने के लिए ग्रामीणों की लंबी कतारें लग जाती हैं।
ब्लॉक चोलापुर के बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता उपेंद्र ने हमें बताया कि बरसात के मौसम में जब–जब बारिश होती है तब विभाग को बिजली काटनी पड़ती है। कई बार बारिश के दौरान गावों में बिजली के तार भी टूट जाते हैं और उन्हें बनवाने में एक–दो दिन लग जाते हैं। उनका कहना है कि चोलापुर के अंतर्गत आने वाले सभी गावों में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए बरसात के बाद काम शुरू किया जाएगा, और सभी तारों और बिजली के खंभों की मरम्मत कराई जाएगी।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुशीला द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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