खबर लहरिया Blog वाराणसी: मिट्टी की सोंधी खुशबू अब बोतल में, ग्राहक हुए दीवाने

वाराणसी: मिट्टी की सोंधी खुशबू अब बोतल में, ग्राहक हुए दीवाने

रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – गीता 

वाराणसी जिले के फुलवरिया के रहने वाले राजन का कहना है कि मिट्टी का कारोबार उनके पूर्वजों से चला आ रहा है। गर्मी के मौसम में मिट्टी के बर्तनों की मांग बहुत बढ़ जाती है। पहले सिर्फ दीये और कुल्हड़ बनते थे लेकिन अब लोगों की डिमांड के अनुसार मिट्टी की बोतलें भी बनने लगी हैं। मिट्टी के बर्तन का पानी गर्मियों में कई तरह से फायदेमंद होता है क्योंकि इस पानी में प्राकृतिक ठंडा होती है जो पाचन में सुधार करता है और लू से बचाव करता है।

मिट्टी की बोतल की तस्वीर (फोटो साभार: सुशीला)

चिकनी मिट्टी का होता है इस्तेमाल 

इन्हें बनाने के लिए चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है जो अब बहुत कम मात्रा में मिलती है और दूर-दराज़ से लानी पड़ती है। पहले गांव स्तर पर ही मिट्टी मिल जाती थी। अब तो 4,000 से 5,000 रुपये प्रति गाड़ी मिट्टी खरीदनी पड़ती है। तब जाकर मिट्टी के बर्तन बनते हैं। इसके अलावा मेहनत और ईंधन खर्च भी जुड़ा होता है। आप देख सकते हैं कि ये वही मिट्टी है जो इतने महंगे दामों में खरीदी गई है और अब ये कारीगर चाक के जरिए बर्तन बना रहा है।

बर्तन बनाता कारीगर (फोटो साभार: सुशीला)

मिट्टी के बर्तन पकाने की प्रक्रिया 

मिट्टी के बर्तनों को बनाने की प्रक्रिया फरवरी महीने से शुरू हो जाती है। जब कड़ी धूप निकलने लगती है क्योंकि बनाने के बाद बर्तन  को सुखाना पड़ता है और फिर आग में पाकाए जाते है ताकि अच्छे से पक जाएं और आप इस फोटो में भी देख ही पा रहे हैं कि ये महिला बर्तनों को पकाने के लिए ही तैयारी कर रही है।

बर्तन पकाने के लिए आवा तैयार करती महिला(फोटो साभार: सुशीला)

दुकानदार सुरेंद्र का कहना है कि शुरुआत में यह बोतलें बाहर से आती थीं। अभी भी बनारस में नहीं बन रही हैं। इसकी पूरी जानकारी नहीं है लेकिन अब लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है। इसलिए मिट्टी के बर्तन की दुकानों में यह बोतल आसानी से मिल जाती हैं और हर कोई अपनी पसंद की बोतल चुनता है। एक बोतल की कीमत डेढ़ सौ रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक होती है और एक दिन में 10 से 15 बोतलें बिक जाती हैं।

दुकानदार सुरेंद्र (फोटो साभार:सुशीला)

मिट्टी की बोतल का पानी शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है। लू लगने से बचाता है और शरीर को ताजगी देता है। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। ऊर्जा बढ़ाता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। यह पानी शरीर में आयरन की कमी को भी दूर करता है। बस यह ध्यान रखना जरूरी है कि पानी हमेशा साफ रखा जाए। 

मिट्टी की बोतल में पानी पीती महिला (फोटो साभार: सुशीला)

सावित्री का कहना है कि गर्मियों में हम लोग फ्रिज का पानी नहीं पीते। हम घर में मिट्टी की गगरी रखते हैं और जब बच्चे स्कूल या ऑफिस जाते हैं तो मिट्टी की बोतल में ही पानी देते हैं। फ्रिज का पानी बहुत ठंडा होता है जिससे गला खराब हो सकता है। मिट्टी की बोतल का पानी ठंडा-मीठा होता है और प्यास भी बुझाता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इसलिए हम बोतल और गगरी का इस्तेमाल करते हैं। मैंने एक मिट्टी की बोतल 150 रुपये में खरीदी है जिसमें मैं रोज पानी भरकर रखती हूं और कहीं भी जाती हूंतो साथ लेकर चलती हूं।

पानी को ठंडा रखते हैं मिट्टी के ये बर्तन (फोटो साभार: सुशीला)

हाँ, आजकल नई-नई डिजाइन में आई मिट्टी की बोतलें और थर्मस मिल्टन की बोतलों का काम कर रही हैं। मिट्टी की बोतलें पारंपरिक रूप से पानी को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल की जाती रही हैं और वह मिल्टन की बोतलों से भी बेहतर हैं।  मिट्टी एक प्राकृतिक सामग्री है जो प्लास्टिक की बोतलों से बेहतर है। मिट्टी में पानी को ठंडा रखने की प्राकृतिक क्षमता होती है। मिट्टी की बोतल में पानी ठंडा रहने का कारण यह है कि मिट्टी एक अच्छे इंसुलेटर के रूप में काम करती है और गर्मी को अंदर जाने से रोकती है।

 

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