चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर आर. बी. यादव का कहना है कि यह एक विशेष प्रकार का आलू होता है, जो सामान्य आलू से अलग होता है। यह काले रंग का होता है और इसमें मिंडा (शर्करा/स्टार्च) की मात्रा कम होती है, इसलिए यह शुगर (डायबिटीज़) के मरीजों के लिए लाभकारी है।
रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – गीता
दोस्तों आलू को लेकर कई तरह की बातें होती हैं और आलू की प्रजाति भी कई होती है। एक तरफ जहां यह कहा जाता है कि डायबिटीज और मोटापे वाले लोगों को आलू नहीं खाना चाहिए क्योंकि आलू से मोटापा बढ़ता है तो वही आज हम आपको एक ऐसे आलू के बारे में बताने जा रहे हैं इन बीमारियों में भी आप खूब खा सकते हैं और नुकसान भी नहीं होगा। जी हां यह है काला आलू है जो पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है और इसे शुगर के मरीज खा सकते हैं।
शुगर-फ्री आलू डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद
वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लाक अन्तर्गत आने वाले जगदीशपुर गांव कि किसान सीमा जिले की पहली किसान है जिन्होंने काले आलू की खेती की है। वह बताती हैं कि यह आलू पैदाइशी शुगर फ्री होता है। उन्हें भी इसका यकीन नहीं था लेकिन उन्होंने कहीं पर पढ़ा था कि काला आलू शुगर फ्री टेस्ट में पाया गया है।
खेत में खेती और उत्पादन
यह शुगर-फ्री आलू न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी है बल्कि सामान्य लोग भी इसे खा सकते हैं। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषण तत्वों की पूर्ति करता है और सेहत को बनाए रखने में फायदेमंद होता है। अगर देखा जाए तो डायबिटीज और शुगर की बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो मरीजों को जीवन भर परेशान करती है। शुगर के मरीजों को मीठा, नमक और अधिक मोटापा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में यह शुगर-फ्री आलू खाना अच्छा होता है।
गुणों से भर पुर है ये काला आलू
इसमें फाइबर ज्यादा होता है जिसके चलते यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। इस आलू में सामान्य आलू के मुकाबले लगभग 60 फ़ीसदी आयरन की मात्रा ज्यादा होती है। तीन गुना ज्यादा विटामिन-सी पाई जाती है। इसके साथ ही इसमें विटामिन बी-6 होता है। इसमें एंथोसाइएनिन इन नाम का तत्व पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। खून की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए भी यह किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं होता है। इसमें संतरे जितना विटामिन सी भी मौजूद है। काला आलू साधारण आलू के मुकाबले बेहद स्वादिष्ट भी माना जाता है।
चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर आर. बी. यादव का कहना है कि यह एक विशेष प्रकार का आलू होता है, जो सामान्य आलू से अलग होता है। यह काले रंग का होता है और इसमें मिंडा (शर्करा/स्टार्च) की मात्रा कम होती है, इसलिए यह शुगर (डायबिटीज़) के मरीजों के लिए लाभकारी है। इसे ‘शुगर फ्री आलू’ कहा जाता है और इसकी खेती किसान करते हैं।
काले आलू के आने से उनका भरने लगा पेट
वाराणसी जिले के पैगंबरपुर गांव निवासी जगदीश प्रसाद मौर्या कहते हैं कि उनको शुगर है। वह पहले आलू की सब्जी खाने के लिए तरसते थे। हरी सब्जियां या फिर दाल का सेवन ही करते थे लेकिन जब से उनके यहां शुगर-फ्री आलू आने लगा जो विशेष रूप से डायबिटीज और शुगर के मरीजों के लिए लाभकारी है। वह इस आलू को अपने लिए खरीदते हैं और इसकी सब्जी भरपेट खाते हैं इससे उनका कोई नुकसान भी नहीं होता। इसलिए इस काले आलू का ‘शुगर-फ्री’ नाम दिया गया है जिसके कारण कंपनी में इसकी मांग काफी अधिक हो गई है।
इस आलू से आलू के चिप्स और नमकीन भी तैयार किए जाते हैं जो शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद भी है और स्वादिष्ट भी होती है। इसका छिलका पतला होता है जिससे इसे पकाना भी आसान होता है। इसमें शुगर की मात्रा नहीं होती। यह पूरी तरह से चीनी मुक्त है और इसमें मिठास भी कम पाई जाती है।
सबसे ज़्यादा उत्तर प्रदेश में होती है आलू कि पैदावार
अगर मैं बात करूं आलू के पैदावार कि तो देश में सबसे ज्यादा आलू उत्तर प्रदेश में पैदा होता है। कुल उत्पादन की बात करें तो उत्तर प्रदेश में देश के कुल उत्पादन का लगभग 35 फीसदी आलू पैदा होता है। वैसे तो आलू को शुगर फ्री करने के लिए कोल्ड स्टोर में एक प्रक्रिया अपनाई जाती है लेकिन काला आलू जिसके बारे में हम आज बात कर रहे हैं वो खेत से पैदा होने के साथ ही शुगर फ्री होता है।
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