वाराणसी जिले में अस्सी घाट जहां पर बहुत सारे नाविकों का पुस्तैनी रोजगार चलता है,जिससे वह अपने परिवार का पालन कर पाते हैं। रोजी-रोटी चला कर लेकिन कोविड और मशीनों वाली स्टीमर के आने से उनका रोजगार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसलिए अब उनकी उतनी कमाई नहीं हो पाती घर चलाना मुश्किल पड़ रहा है बहुत से परिवार इस स्थिति में कर्ज से डूब गए हैं और वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं कि यह कोविड का माहौल खत्म हो और सरकार इस विधानसभा चुनाव में उनके बारे में भी सोचे।
नाव चलाने वालों ने बताया कि काशी बनारस एक फेमस जगह है यह तो सभी जानते हैं, यहां पर हर रोज लाखों लोगों का आवागमन होता है घूमने के लिए लेकिन कोविड के चलते लोगों का आवागमन कम हो गया और सरकार द्वारा चार स्ट्रीमरे चलवा दी गई हैं। जिससे उन्हें काफी दिक्कत होती है पहले उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती थी लेकिन अब एक तो यात्री कमा रहे हैं दूसरा स्ट्रीमर आजकल लोग फैशन के दौर में बड़ी और मशीनों वाली नाव में बैठना पसंद करते हैं भले ही उसमें 7 से ₹800 लगते हैं और जो छोटी नावे हैं वह भले ही ढाई सौ 300 में घुमा देती हैं लेकिन लोग स्ट्रीमर के आगे उसमें बैठना पसंद नहीं करते इसलिए उनको दिक्कत आती है।
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नाविकों ने बताया कि जब पहली बार लॉकडाउन हुआ था तो बिल्कुल लोगों का आवागमन बंद हो गया था उस समय जो उनके पास थोड़ा बहुत सेविंग थी उसको उन्होंने खर्च किया खाया और कर्ज भी ले लिया अब वह उस कर्ज को चुका भी नहीं पा रहे हैं क्योंकि यात्री तो आ रहे हैं लेकिन अब उतनी कमाई नहीं हो रही है। जिससे उनके परिवार की स्थिति खराब है ना तो बच्चों को अच्छी शिक्षा और खानपान दे पा रहे हैं और ना ही कर्ज मुक्त हो पा रहे हैं उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उनको उनके परिवार में जो लोग मछली मारने का काम करते हैं उन्हें भी प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह क्या करें उनका यह पुश्तैनी काम है ना चलाना और मछलियां मारना जिससे उनकी जीविका चलती है। अब अगर उनका यही रोजगार बंद हो रहा है तो वह चाहते हैं कि सरकार उन्हें कोई दूसरा रोजगार दे वरना जो उनका धंधा है उसको ठीक से चलने दे प्रतिबंध ना लगाएं और स्ट्रीमरे अब ना आए।
लोगों ने बताया कि जब स्ट्रीमर आई थी तो उन्होंने काफी विरोध किया था फिलहाल उनको यह कहा गया था कि अब इसके अलावा स्ट्रीमर नहीं आएंगी पर यह उनका बहुत बड़ा मुद्दा है कि उनका रोजगार बाधित हो रहा है और उनके रोजगार पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है तो जो भी प्रत्याशी चुनाव के समय आएगा उनसे वही मांग रखेंगे कि पहले उनकी यह मांगे पूरी की जाए और फिर जो उनके हित के बारे में सोचेगा उसको चुनेंगे फिलहाल टक्कर तो सपा और भाजपा का ही है उसमें कोई शक नहीं है।
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