जिला वाराणसी के ब्लॉक चोलापुर गाँव में नाली ना होने की वजह से दलित बस्ती के लोग मज़बूरन गंदगी और बीमारियों के बीच में रह रहे हैं।
जिला वाराणसी ब्लॉक चोलापुर गांव धोरहरा दलित बस्ती में लगभग 5 सालों से नाली की समस्या बनी हुई है। जगह-जगह पानी का जमाव हो रखा है। गाँव की आबादी लगभग आठ हज़ार की है। कोरोना महामारी में लोग गंदगी से फैलने वाली बीमारी और वैश्विक कोरोना महामारी दोनों से लड़ रहे हैं। लोगों के अनुसार दलित बस्ती ब्राह्मण बस्ती तक जाती है और इस बीच में नाली नहीं बनी है।
दलित बस्ती के लोगों की समस्याएं
दलित बस्ती के सुराहु यादव का कहना है कि नाली की सुविधा ना होने की वजह से पानी लगातार बहता रहता है। बारिश होती है तो सड़क पानी से भर जाता है। वह कहते हैं कि वे लोग किससे कहें, कोई सुनवाई ही नहीं होती। जब प्रधानी आती है तो लोग अलग-अलग वादें करते हैं। प्रधानी को पांच साल बीत गए लेकिन नाली नहीं बनी। गाँव में अभी तक गंदगी की वजह से 15 लोगों की मौत भी हो चुकी है। मरने वालों में ज़्यादातर बुज़ुर्ग लोग थे। लेकिन ना तो यहां कोई दवा का छिड़काव हुआ और ना ही स्वास्थ्य विभाग की टीम आयी। खाली आश्वाशन मिलता है लेकिन कुछ नहीं होता।
मुन्नी देवी कहती हैं पानी निकलने की कोई सुविधा ना होने की वजह से वह लोग छोटे-छोटे गड्ढे खोदकर पानी रखते हैं। फिर जमे हुए पानी को वह लोग बाल्टी से फेंकते हैं। वह कहती हैं कि, ‘ गाँव में कोई भी सुविधा हम गरीबों को नहीं मिली है। किससे शिकायत करें।‘ पानी जमने से कीड़े-मकौड़े पनपते हैं, गंदगी आती है। उन्हें मज़बूरी में उसी में रहना पड़ता है।
राजाराम का कहना है कि पिछले साल की गर्मी में कई लोग बीमार हुए थे। कैंप लगाकर लोगों का इलाज किया गया था लेकिन फिर भी प्रशासन को समझ नहीं आया। आज भी सड़कों पर गंदा पानी बह रहा है। डेंगू, मलेरिया जैसी बिमारियों की स्थिति बनी हुई है। इस बार के चुनाव में उन लोगों ने पानी निकासी की समस्या की बात भी रखी पर कुछ नहीं हुआ।
राधिका कहती हैं कि लोग बस आते हैं और देखकर चले जाते हैं। उनके अनुसार, ‘ यहां पर तो पानी की बात छोड़िये, कोई सुविधा ही नहीं है। ना ही कोई प्रशासन आता है और ना ही गाँव के प्रधान। हम लोग जब भी जाते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती।’
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समस्या का पता नहीं – प्रधान
हमने इस बारे में गाँव की प्रधान गीता से बात की। उनका कहना था कि गाँव के लोगों ने कभी शिकायत ही नहीं की उन्हें पता कैसे चलेगा। उनके अनुसार गाँव की आबादी ज़्यादा है इसलिए काम अधूरे पड़े हुए हैं। वह यह भी कहती हैं कि दलित बस्ती में नाले बने हैं लेकिन सफ़ाई ना होने की वजह से गंदगी जमी हुई है। नाले की समस्या को लेकर काम किया जाएगा।
जिला पंचायत सदस्य की बात
इस मामले में जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र का कहना है कि नाले की समस्या दूर होगी। उन्हें केंद्र मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे की तरफ से धनराशि प्राप्त हुई है जिसका इस्तेमाल वह नाली की समस्या को दूर करने के लिए करेंगे।
स्वच्छ वातावरण में जीना मानव के मौलिक अधिकारों में से एक है फिर भी लोग रोग मुक्त जीवन नहीं जी पा रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन को शुरू हुए लगभग छः साल बीत चुके हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस मिशन का कोई लाभ नहीं दिखा है। कोरोना महामारी में जहां सरकार एक तरफ सैनिटाइज़ेशन और साफ़-सफाई की बातें कर रही है वहीं धोरहरा गांव में रहने वाले दलित बस्ती के लोग गंदगी में जीवन जीने को मज़बूर हैं। बीमारी की वजह से अभी तक कई लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं लेकिन समस्या के निवारण का कोई भी कार्य अभी तक होता हुआ नहीं दिखा है।
गाँव की प्रधान कहती हैं कि उनको समस्या का ही नहीं पता तो क्या उन्हें गंदगी से हुई मौतें के बारे में भी नहीं पता? उनका कहना है कि गाँव की में नाली बनी है अगर ऐसा है तो पानी का जमाव सड़कों पर क्यों हो रहा है ? आखिर कब तक लोगों को समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वाशन दिया जायेगा ? क्यों लोगों की सुनवाई नहीं होती?
इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला देवी द्वारा की गयी है।
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