उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी में बढ़ते बाढ़ के कहर और बढ़े जलस्तर को देखते हुए 12 अगस्त को सीएम योगी आदित्यनाथ बाढ़ पीड़ित परिवारों का जायज़ा लेने पहुंचे। यहां के लोगों का कहना है कि कुछ लोगों को राशन मिला है और कुछ को नहीं मिला। राशन में 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 2 किलो दाल, 1 किलो हल्दी, मसाला, साबुन आदि चीज़ें दी गयी। जितने बाढ़ पीड़ित परिवारों को राशन नहीं मिला उन्होंने नराज़गी भी जताई है।
पार्षद अंसारी का कहना है कि 400 परिवारों के लिए राहत सामग्री आई हुई है। 12 अगस्त को 20 लोगों को राशन बांटा गया था बाकी के परिवारों को आज यानी 13 अगस्त को वितरण किया जाएगा।
बाढ़ में लोगों की सबसे ज़्यादा परेशानी भोजन की ही रहती है। ऐसे में परिवारों को राहत साम्रग्री भी न मिल पाना उनकी चिंता को और भी ज़्यादा बड़ा देता है। पहले तो लोग सरकारी मदद की आस लगाये रहते हैं कि शायद प्रशासन की नज़र उन पर पड़े और उनकी कुछ परेशानियां कम हो। लेकिन ऐसे समय पर प्रशासन भी सिर्फ चेहरा दिखाने पीड़ितों के पास पहुँच जाती है और बड़े-बड़े वादों और कुछ लोगों में राहत सामग्री वितरण करके अपने ज़िम्मेदारी का पल्ला झाड़कर चले जाती है। फिर ये दिखावा क्यों? ये ज़िम्मेदारी कैसी जो सिर्फ नाम के लिए निभाई जा रही है?
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