कहते हैं न, हुनर है तो सब कुछ हासिल हो सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाने के लिए तत्पर हैं जिला वाराणसी के गाँव बासदेवपुर की रहने वाली महिलाएं। असल में पूरा गाँव में झाड़ू बनाने का कारोबार कई सालों से चला रहा हैं। इस गाँव की आबादी लगभग 1000 है जहाँ पर लोग कूचे की झाड़ू बनाकर अपना रोज़गार देख रहें हैं।
यहाँ की महिलाओं का कहना है कि वह यह कारोबार लगभग 12 सालों से कर रहीं है और यह काम यहां पर रहने वाले लगभग हर व्यक्ति को आता है। इस बढ़ती बेरोज़गारी में इनके लिए यह कमाई का अच्छा साधन बन गया है।
ये भी देखें – वाराणसी जिले की महिला मिस्त्री, मज़दूरी से करी मिस्त्री बनने की शुरुआत
कूचे का झाड़ू ताड़ के पत्ते से बनता हैं जोकि गोंडा जिला से आता है। एक गठरी पत्ता इन्हें 500 रूपए में मिल जाता है। यह लोग 1 दिन में 100 से 400 तक की कमाई कर लेते हैं। इनका कहना है कि यह काम सालभर चलने वाला काम है तो यह लोग ज़्यादातर गर्मियों में थोक में गठरी खरीद कर रख लेते हैं और जब चाहें तब झाड़ू बना लेते हैं। आगे बताया, इन्हें खाने के लिए कम से कम भीख तो नहीं मांगना पड़ता हैं, जितना मिल रहा है वह उतने में काफी खुश हैं।
इन लोगों ने बताया कि वैसे तो इनकी बिक्री गाँव में भी हो जाती है लेकिन अच्छी कमाई के लिए ये लोग बनारस में इनकी बड़ी मात्रा में सेलिंग करते हैं।अगर यह लोग एक झाड़ू 10 रुपय के हिसाब से भीचते हैं तो इन्हें लगभग 400-500 तक का मुनाफ़ा हो जाता है।
ये भी देखें – रजनी ताई के सफल जीवन की प्रेरक कहानी
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’