खबर लहरिया Blog वाराणसी जिले की महिला मिस्त्री, मज़दूरी से करी मिस्त्री बनने की शुरुआत

वाराणसी जिले की महिला मिस्त्री, मज़दूरी से करी मिस्त्री बनने की शुरुआत

मिस्त्री का काम करने के दौरान नगीना के सामने कई चुनौतियाँ आईं। कभी उसे लगा कि वह यह काम छोड़ दे लेकिन जब उसे यह लगने लगा कि धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है तो उसका मन बदल गया। उसे धीरे-धीरे अच्छी मज़दूरी मिलने लगी।

                                                                                       महिला मिस्त्री नगीना देवी ( फोटो साभार – खबर लहरिया )

नगीना देवी (35), एक महिला मिस्त्री के रूप में कार्य करती हैं। वाराणसी जिले के चमराहा गाँव में रहने वाली नगीना ने मज़दूरी करने से अपने मिस्त्री बनने के सफर की शुरुआत की थी। आज नगीना को यह काम करते हुए लगभग 14 साल बीत चुके हैं। वह बस यह जानती थी कि उसे किसी के सामने हाथ नहीं फैलाने, किसी की गुलामी नहीं करनी।

शरू में नगीना को 120 रूपये मिलते थे और आज वह दिन के 620 रूपये तक कमा लेती हैं।

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मज़दूरी से मिस्त्री बनने तक

नगीना, अपनी बेटी के साथ रहती है। नगीना के लिए उसकी बेटी ही उसका पूरा परिवार है। घर चलाने व भरण-पोषण करने के लिए एक दिन उसके दिमाग में मज़दूरी करने का ख्याल आया। उसने यह सोचकर मज़दूरी करना शुरू किया था कि वह एक दिन में 20 या 30 रूपये तो कमा ही लेगी।

उसने ईंटा-मिट्टी फेंकना व मसाला बनाने से शुरुआत की। नगीना के अलावा इस कार्य में सब पुरुष थे। उन्हीं में से एक व्यक्ति ने उससे कहा कि वह मिस्त्री का काम करना सीखे क्योंकि वह एक अच्छी मिस्त्री बन सकती हैं। इसी तरह सीखते-सीखते वह आज पूरी तरह से मिस्त्री बन गयी हैं। अब वह मिस्त्री से जुड़ा कोई भी काम कर सकती हैं।

मिस्त्री बनने के दौरान आईं कई चुनौतियाँ

मिस्त्री का काम करने के दौरान नगीना के सामने कई चुनौतियाँ आईं। कभी उसे लगा कि वह यह काम छोड़ दे लेकिन जब उसे यह लगने लगा कि धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है तो उसका मन बदल गया। उसे धीरे-धीरे अच्छी मज़दूरी मिलने लगी। वह अब इस काम को कभी नहीं छोड़ना चाहती।

कहा, “मिस्त्री के काम ने मेरे घर को बदल दिया।”

अपने इस सफर के दौरान उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लोग क्या कहते हैं, उसने कभी गौर ही नहीं किया। बताया कि अगर वह चार दिन काम करती हैं तो 10 दिन के खाने के लिए हो जाता है।

नगीना कहती हैं, मिस्त्री का काम काफी कठिन होता है। उसने कई लोगों के घर बनाये हैं व घरों को प्लस्तर भी किया है। वह शहर और गांव दोनों जगह काम करती है।

आगे कहा, ” मैं अपने काम से बहुत खुश हूँ।”

कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। काम तो काम होता है और अगर काम को सीखने के बाद नगीना की तरह आगे बढ़ने की ललक हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला देवी द्वारा की गयी है। 

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