अमृत सरोवर योजना के तहत ज़िले में 82 तालाबों को अमृत सरोवर बनाए जाने की बात हुई थी, जिसमें कुछ तालाब शहरी स्तर पर थे और कुछ ग्रामीण। विकास खंडों में अमृत सरोवर बन जाने के बाद ऐसी उम्मीद लगाई जा रही थी कि लोगों को पानी की किल्लत नहीं होगी। लोग दैनिक कार्यों के अलावा सिंचाई के लिए सरोवर के पानी का इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया।
वाराणसी ज़िले में पिछले साल 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत तालाबों का निर्माण करवाए जाने की बात कही गई थी। सभी विकास खंडों में सरोवरों का निर्माण करवाया जाना था, जिसकी संख्या और जिम्मेदारी विकास खंडों को दी गई थी।
लेकिन आज करीब डेढ़ साल बाद भी शहर में तालाबों की स्थिति में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। ज़िले में कुछ तालाब तो ऐसी हालत में हैं कि वो पूरी तरह से कूड़े की चादर से ढके हुए हैं। और सुंदरीकरण तो क्या उनको आकर देखने वाला भी कोई नहीं है।
इस योजना के तहत ज़िले में 82 तालाबों को अमृत सरोवर बनाए जाने की बात हुई थी, जिसमें कुछ तालाब शहरी स्तर पर थे और कुछ ग्रामीण। विकास खंडों में अमृत सरोवर बन जाने के बाद ऐसी उम्मीद लगाई जा रही थी कि लोगों को पानी की किल्लत नहीं होगी। लोग दैनिक कार्यों के अलावा सिंचाई के लिए सरोवर के पानी का इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया।
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जो तालाब चुने गए, उनके भी हाल बेहाल-
ब्लॉक चोलापुर के गांव सुगुलपुर में लगभग 5 हज़ार की आबादी है। यहाँ मौजूद तालाब को भी पिछले साल अमृत सरोवर योजना के अंदर डाल दिया गया था। वैसे तो आज से कुछ साल पहले तक ये तालाब ग्रामीणों की कई ज़रूरतों को पूरा कर रहा होता था, लोग यहाँ आकर नहाते थे, कपड़े धोते थे, खेतों में जुताई के लिए भी यहीं से पानी लिया जाता था। और बारिश के मौसम में तालाब पूरी तरह से भर जाता था। लेकिन धीरे धीरे इस तालाब की रंगत बदलती चली गई। पानी सूख गया, लोग यहाँ कूड़ा डालने लग गए, और बचा हुआ पानी पूरी तरह से दूषित और कीचड़ में तब्दील हो गया।
शायद यही कारण है कि अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत सुंदरीकरण के लिए इस तालाब को चुना गया था, लेकिन आज तक इसके सुंदरीकरण का काम शुरू नहीं हुआ है। ग्रामीणों को लगा था कि अगर तालाब की सफाई हो जाएगी तो लोग इसमें मछली पालन कर लेंगे, या पशुओं के लिए पानी यहीं से ले जायेंगे। लेकिन अबतक ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है। हाल ये है कि इस योजना से जुड़ा कोई भी अधिकारी आज तक यहाँ आया भी नहीं है।
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बजट तो बना, लेकिन कब होगा इस्तेमाल?
बता दें कि वाराणसी ज़िले में जब योजना की शुरुआत हुई थी तब सरकार की तरफ से इस पर 12.13 लाख रुपये खर्च करने की बात हुई थी। इसमें मनरेगा से खोदाई पर 3.20 लाख रुपये खर्च, पानी का आगमन और निकासी पर एक लाख, घाट व सीढ़ी पर 1.20 लाख, पौधारोपण पर 25 हजार, इंटरलाकिग कार्य पर 3.98 लाख, झंडारोहण पर 2,427, बेंच 96 हजार, तार का बाड़ पर 1.47 लाख रुपये लगने का बजट भी पेश किया गया था।
यहाँ तक कि सरकार की तरफ से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि 2023 में बरसात के मौसम यानी जून-जुलाई से पहले ज़िले की 300 ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवरों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। पर ज़िले के कई क्षेत्रों में न ही अबतक इस बजट को इस्तेमाल में लाया गया है और न ही लक्ष्य के अनुसार तालाबों का सुंदरीकरण अबतक हो पाया है।
गांव सुगुलपुर की प्रधान साधना चौहान के पति मनीष चौहान ने बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले ही उनके गांव के तालाब का चयन इस योजना के अंतर्गत हो गया था, परंतु काम अबतक शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि अगले एक हफ्ते में मनरेगा के अंदर काम लगवाकर वो इस तालाब की सफाई का कार्य शुरू करवा देंगे, जिसके प्रस्ताव के लिए बजट बनाकर विभाग में भेज भी दिया गया है।
खण्ड विकास अधिकारी शिव नारायण सिंह का कहना है कि फिलहाल तालाब सुंदरीकरण के लिए ऊपर से कोई बजट नहीं आया है, लेकिन मनरेगा के तहत सफाई करवाने का काम जल्द ही शुरू होगा।
इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला द्वारा की गई है।
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