केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 74 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा नदी का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से बढ़ रहा है।
गंगा नदी काफ़ी समय से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे जिले के लोगों को काफ़ी दिनों से बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ का सबसे ज़्यादा सामना निचले इलाकों में रहने वाले परिवार कर रहें हैं। इलाका नीचा होने की वजह से वहां पानी भर गया है।
इस बाढ़ से घरों के साथ-साथ लोगों की फसलें भी डूब गयी हैं। हज़ारों परिवार सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित हो रहें हैं तो कई लोगों को अपनी फसलें और जानवरों की चिंता सता रही है।
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एनडीआरएफ की टीम दे रही राहत सामग्री
खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ ग्रसित इलाकों में लोगों को एनडीआरएफ की टीम द्वारा राहत सामग्री पहुंचायी जा रही है। लेकिन कई इलाके ऐसे हैं जहां के लोगों को अभी भी प्रशासन की कोई भी मदद मुहैया नहीं हो पाई है।
नहीं मिली प्रशासन से कोई मदद – बाढ़ पीड़िता लोग
खबर लहरिया ने बाढ़ पीड़ित इलाकों के लोगों से भी बात की। हरियरपुर धरहरा गांव की महिला भगवानी देवी ने कहा, ” बाढ़ से संकट बढ़ गया है। हम क्या खाएंगे, पशु क्या खाएंगे। हमारा 5 बीघा खेत बाढ़ में डूब चुका है। सारी मिल्कियत चली गयी है। हर साल बाढ़ आती है लेकिन कोई राहत सामग्री नहीं मिलती। न ही उन्हें कोई देखने आया है।”
अन्य महिला ने बताया कि उन्होंने क़र्ज़ लेकर फसल बोई थी और अब वह भी बाढ़ में डूब गयी है। न तो पहले उन्हें कभी बाढ़ के समय सरकार से मुआवज़ा मिला है और न ही अभी कोई उम्मीद है। जो सामने दिख रहा है वह है कर्ज़।
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श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में घुसा बाढ़ का पानी
प्रभात खबर की आज की प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि रविवार, 28 अगस्त को वाराणसी जिले में गंगा नदी का पानी श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में भी प्रवेश कर गया। वहीं अस्सी घाट और वरुणा कॉरिडोर भी आई बाढ़ में पूरी तरह से डूबा हुआ नज़र आ रहा है। ढाब व गोमती के पास के इलाकों में सैकड़ों एकड़ फसलें डूब गईं हैं।
74 सेंटीमीटर के ऊपर बह रही गंगा नदी
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 74 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा नदी का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से बढ़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य तेज़ कर दिया गया है। वहीं गंगा में आई बाढ़ की वजह से प्रशासन ने नाव चलाने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में नाविक समाज के लोग खाली बैठे हैं। घाट के किनारे लगने वाली लगभग एक हजार से ज़्यादा दुकानें गंगा में जलमग्न हो गई हैं।
सेंट्रल वाटर कमीशन मिडल गंगा डिवीज़न की ऑफिस रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार की आधी रात के बाद गंगा का जलस्तर 71. 26 मीटर पार हो गया था। वहीं शनिवार को 2 बजे के करीब गंगा नदी 71.54 मीटर के निशान के ऊपर बह रही थी।
बाढ़ को लेकर जिला मैजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा की बात
बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में वाराणसी जिले के जिला मैजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा ने कहा कि, ” लगभग 10,500 लोगों को जो निचले इलाकों और वरुणा नदी के पास रहते हैं, गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से स्थानांतरित कर दिया गया है। 2,600 लोगों को प्रशासन द्वारा 16 बाढ़ राहत शिविरों में शरण दी गयी हैं वहीं 6,600 लोगों को उनकी पसंद की जगह पर भेजा गया है। वहीं 4 हज़ार लोग अपने घरेलू सामान लेकर ऊपरी मंजिलों या सुरक्षित स्थानों पर जाने को मज़बूर हो गए हैं।”
बाढ़ पीड़ित मदद के लिए 112 नंबर पर करें कॉल
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने आदेश दिया है कि सभी थाना प्रभारी जिन इलाकों में लोग अपना घरों को छोड़ के बाढ़ राहत शिविर में रह रहे हैं, उनके बंद घरों में चोरी की शिकायत नहीं आनी चाहिए। पुलिस वहां मोटर बोट से पेट्रोलिंग बढ़ाए और पुलिस ये भी सुनिश्चित करे कि बाढ़ के मकान में कोई फंसा न हो। कमिश्नर ने यह भी अपील की है कि बाढ़ पीड़ित मदद पाने के लिए 112 नंबर और थाना प्रभारी के सीयूजी नंबरों पर फोन कर सकते हैं। थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि सीयूजी पर आने वाली सभी कॉल्स को रिसीव करें और किसी ने मदद मांगी है तो एनडीआरएफ की टीम को साथ लेकर मदद के लिए तुरंत पहुंचें।
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा भी स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
बाढ़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद देने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद प्रशासन कुछ बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद के लिए नहीं पहुंच पाई है। हर घंटे, हर दिन गंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। ऐसे में लोगों को कब तक आई बाढ़ से निजात मिलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
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