जिला वाराणसी ब्लॉक चिरईगांव गाँव पियरी के 50 साल के राकेश कुमार कविता लिखते हैं। वह कहते हैं कि पहले वह सिर्फ कविताएं पढ़ते थे। फिर धीरे-धीरे उन्होंने रोज़ दो-चार लाइन लिखना शुरू कर दिया। अब उन्होंने कविताएं लिखना सीख लिया है। वह अपनी कविताएं यूट्यूब पर भी डालते हैं। लोग उनकी कविताओं को पढ़कर उनकी तारीफ भी करते हैं। जिसे सुनकर उन्हें काफ़ी अच्छा लगता है। अब वह रोज़ कुछ न कुछ ज़रूर लिखते हैं।
वह कहते हैं कि अभी कोरोना महामारी चल रही है तो वह उस पर भी लिख रहे हैं। कवितायें यादों की किताब होती है। इन्हें लिखने वाला कई लोगों के किस्से और कहानियों का हिस्सा बन जाता है। जब लोग उन कविताओं को पढ़ते हैं तो उन्हें अपने बीते दिन यादों से बाहर तस्वीर के रूप में दिखाई देने लगते हैं।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।