वैशाली के 22 वर्षीय अशरफ ने लॉकडाउन के बाद अपने ही गांव में ‘खाद उद्योग सिलाई सेंटर’ खोल अपने गांव के लोगों को रोज़गार प्रदान करने का काम किया है। अशरफ ने 5 सालों तक कारखानों में सुपरवाइजर का काम सीखा था। लॉकडाउन में उन्होंने देखा कि कई लोग बेरोज़गार है जिसे देखते हुए उन्होंने सरकार से क़र्ज़ लेते हुए ‘खाद उद्योग सिलाई सेंटर’ खोला।
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अशरफ ने बताया कि वह पहले बाहर कारखानों में सुपरवाइजर के रूप में काम किया करते थे फिर लॉकडाउन में जब सब लोग घर चले आए तो वह भी घर चले आए। लॉकडाउन के बाद उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपने ही गांव में एक खाद उद्योग कारखाना खोल लिया जाए तो उन्होंने एक कारखाना खोला जिसमें पुरुषों और महिलाओं की संख्या बराबर रखी। उनके पास अभी 20 सिलाई मशीन है जिस पर 10 महिलाएं और 10 पुरुष काम करते हैं। उनके पास कपड़े कई जगहों से आते हैं। कारखाने में कई लोग धागे काटते हैं, पैकिंग होती है और फिर उसे अलग-अलग जिलों में बेचा जाता है। सबको काम के अनुसार अलग-अलग पैसे दिए जाते हैं। किसी को 8 हज़ार तो किसी को 10 हज़ार तो किसी को 15 हज़ार रूपये भी दिए जाते हैं।
वह कहते हैं कि वह अपना कारोबार और भी ज़्यादा बढ़ाना चाहते हैं। वह इसे इतना बढ़ाना चाहते हैं कि इसकी मांग देश-विदेश तक हो। वह यह भी चाहते हैं कि अब उनके गांव के लोग यहीं रहकर काम करे और उन्हें काम के लिए बाहर न जाना पड़े क्योंकि बिहार में कई लोग रोज़गार के लिए बाहर जाते हैं।
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