खबर लहरिया Blog जोशीमठ को ‘भूस्खलन-अवतलन क्षेत्र’ किया गया घोषित, लगातार हो रहे भू-धंसाव से लगभग 600 घर प्रभावित

जोशीमठ को ‘भूस्खलन-अवतलन क्षेत्र’ किया गया घोषित, लगातार हो रहे भू-धंसाव से लगभग 600 घर प्रभावित

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी सुरंग और चार धाम की अन्य निर्माण परियोजनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजनाएं रोकी जानी चाहिए व इस स्थिति को प्राकृतिक आपदा की तरह देखते हुए इसका निवारण किया जाना चाहिए।

                  जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव की वजह से लोगों के घरों में आई दरारें (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

उत्तराखंड का जोशीमठ इस समय भू-धंसाव का सामना कर रहा है। लोगों के घरों व सड़कों के बीच बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल रही हैं। लोग घरों के गिरने का डर बने रहने की वजह से अपनी रातें कड़कती ठंड में बाहर गुज़ार रहे हैं। जानकारी के अनुसार, जोशीमठ को ‘भूस्खलन-अवतलन क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ के पवित्र शहर में भूस्खलन के मद्देनजर राज्य को हर संभव मदद का भी आश्वासन दिया है।

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने सोमवार, 9 जनवरी को कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसमें ज़मीन के धंसने और दरारों का पता चला है। उन्होंने कहा कि दो केंद्रीय टीम जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय शामिल है, जल्द ही जोशीमठ पहुंचेगी।

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परियोनाओं की वजह से भू-धंसाव – पूर्व मुख्यमंत्री हरीश

                                                                          भू-धंसाव की वजह से सड़कों में भी आ रही हैं दरारें (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी सुरंग और चार धाम की अन्य निर्माण परियोजनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजनाएं रोकी जानी चाहिए व इस स्थिति को प्राकृतिक आपदा की तरह देखते हुए इसका निवारण किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रभावित निवासियों को बद्रीनाथ और केदारनाथ की तरह सहायता राशि दी जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता करे याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख : SC

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता से कहा, जिसने उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की है, वह मंगलवार को अपनी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख करे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा (Chief Justice DY Chandrachud and Justice PS Narasimha) की पीठ ने सोमवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से पेश अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्रा से कहा था, जिन्होंने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था, प्रक्रिया का पालन करने और मंगलवार को फिर से उस बात का उल्लेख करने के लिए कहा।

जिला प्रशासन कर रहा सहायता राशि वितरण

जानकारी के अनुसार, जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने रविवार,8 जनवरी को प्रभावित परिवारों को आवश्यक घरेलू सामानों के लिए ज़रूरी सहायता राशि वितरित की है।

टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 603 इमारतों में दरारें आ गई हैं और 68 परिवारों को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है।

विशेषज्ञों की टीम देगी जोशीमठ की समस्या पर सुझाव

जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने रविवार को जोशीमठ की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में केंद्र ने अध्ययन करने हेतु सात अलग-अलग संगठनों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की व उनसे उनके सुझाव प्रस्तुत करने की बात कही।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की एक टीम को अध्ययन करने और जोशीमठ की स्थिति पर सुझाव देने का काम सौंपा गया है।

बता दें, मीटिंग में यह भी निर्णय लिया गया था कि सीमा प्रबंधन सचिव और एनडीएमए के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और जोशीमठ की स्थिति का जायजा लेंगे। इसके आलावा बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब, जोशीमठ जैसे तीर्थ स्थलों के प्रवेश द्वारा भू-धंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहें हैं। 600 से ज़्यादा घरों में भू-धंसाव की वजह से दरारें आ रही हैं।

जानकारी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) जोशीमठ में स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं और स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। इसके साथ ही वह प्रभावित परिवारों को सुरक्षा के लिए उन्हें स्थानांतरित करने का भी काम कर रहे हैं। अभी-भी जोशीमठ के लोगों पर खतरा बना हुआ है और यह अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि स्थिति में कब तक सुधार देखा जा सकता है।

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