चित्रकूट में पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण को डाला खतरे में! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जुलाई को चित्रकूट में पौधारोपण कर वृक्षारोपण जन आंदोलन की शुरुआत की थी। जिसके अंतर्गत 15 अगस्त तक राज्य भर में करीब 35 करोड़ पौधे लगाए जाने का अनुमान तय किया गया है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जब ये पेड़ बड़े हो जाएंगे, तो ये प्रदेश के लोगों को ऑक्सीजन देने के लिए पर्याप्त होंगे और 2030 तक उत्तर प्रदेश के कार्बन जब्ती लक्ष्य का 80 प्रतिशत भी पूरा करेंगे। लेकिन जिस हिसाब से चित्रकूट के वन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई चालू है, क्या जनपद में यह लक्ष्य सरकार पूरा कर पाएगी?
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इन अलग-अलग तरह की योजनाएं होने के बाद भी पेड़ों की कटान में कमी नहीं आ रही है। सीएम योगी ने चित्रकूट में ‘कोदंड वन’ की स्थापना कर जनपद में लोगों को जागरूक तो किया है, लेकिन चित्रकूट में पेड़ों की कटाई थमने का नाम नहीं ले रही है।
कई लोगों ने बताया कि ज़िले के वन क्षेत्रों में आए दिन अवैध पेड़ों की कटाई होती है, जिससे प्रकृति के साथ पर्यावरण, और मौसम पर भी भारी असर देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि वन विभाग की तरफ से भी पेड़ों की कटान रोकने को लेकर कोई कार्यवाही नहीं होती। आसपास के गांव के लोग भी लकड़ी आदि के लिए पेड़ काट कर ले जाते हैं।
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राज्य वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार, राज्य के 9.23 प्रतिशत क्षेत्र में वन क्षेत्र है। 2013 में यह 8.82 फीसदी थी। राज्य सरकार ने अब इस क्षेत्र को बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह ज़रूरी होगा कि ज़मीनी स्तर पर पेड़ों की कटाई को लेकर रोकथाम हो और लोगों को भी वृक्षारोपण को लेकर जागरूक किया जाए।
चित्रकूट के प्रभागीय वनाधिकारी आर. के. दीक्षित ने ऑफ कैमरा बताया कि चित्रकूट के आंतरिक इलाकों में जो लगातार पेड़ों की कटाई चल रही है, उसकी रोकथाम के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही की जाएगी।
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