सीएम योगी ने लखनऊ में 63 हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों को आवास और कृषि भूमि के कागज़ात बांटे।
हिन्दू बंगाली परिवार जो साल 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर हस्तिनापुर आये थे। उन 63 हिन्दू बंगाली परिवारों के लिए आज यूपी की योगी सरकार द्वारा पुनर्वास एक्ट पास किया गया है।
आज सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी की राजधानी लखनऊ में 63 हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों को आवास और कृषि भूमि के कागज़ात बांटे गए। इस दौरान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी मौजूद रहें।
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हिन्दू बंगाली परिवारों को योजना के तहत मिलेगा लाभ
हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों को उनके हक़ की ज़मीन दिलाने के लिए पुनर्वास परियोजना को लागू किया गया। परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए 1 लाख 20 हज़ार रूपये और 200 मीटर ज़मीन दी जायेगी। वहीं परिवारों को कृषि के लिए 2 एकड़ भूमि मिलेगी। इसके साथ ही उनके लिए शौचालय का भी निर्माण करवाया जाएगा।
63 हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों के पुनर्वास परियोजना को लागू कर दिया गया है। 2 एकड़ भूमि और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक लाख 20 हजार रूपए मिलेगा। एक शौचालय का भी निर्माण करवाया जाएगा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, लखनऊ pic.twitter.com/0DPJF5X0Ch
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 19, 2022
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पुनर्वास एक्ट पास करने पर सीएम योगी ने कही ये बात
मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ट्वीट करते हुए लिखते हैं, ” आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आए हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में नागरिकता देने और उनके पुनर्वासन हेतु एक्ट पास किया गया, उसी का सुफल है कि @UPGovt समयबद्ध ढंग से हिंदू परिवारों के पुनर्वासन की कार्यवाही को आगे बढ़ा रही है।”
” पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिंदू बंगाली परिवारों को अपने मूल देश में ही प्रताड़ना का दंश झेलना पड़ा, मगर भारत ने उन्हें न केवल शरण दी, बल्कि उनके व्यवस्थित पुनर्वासन को सुनिश्चित किया है।
मानवता के प्रति भारत की सेवा का यह अभूतपूर्व उदाहरण है। ”
विस्थापन के बाद मेरठ आकर बसे थे हिन्दू बंगाली परिवार
साल 1970 में हिन्दू बंगाली परिवार पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर हस्तिनापुर के मेरठ में आकर बसे थे। जिसके बाद उन्हें मदन कपास मिल में रोज़गार मिला। फिर 30 साल पहले मिल बंद होने की वजह से उनसे उनका रोज़गार छिन गया। उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ। यह परिवार लगभग 30 सालों से अपनी जीविका और अपने खुद के स्थान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर की 19 अप्रैल 2022 की रिपोर्ट में बताया गया कि मिल बंद होने के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा मिल दोबारा शुरू करने के लिए 90 लाख रूपये दिए गए थे। इसके बाद भी मिल चालू नहीं हो पायी।
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2021 में परिवारों को दी गयी थी कानपुर में जगह
हिन्दू बंगाली परिवारों को पुनर्वासित करने के लिए साल 2021 में योगी सरकार ने एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। फिर परिवारों के लिए कानपुर देहात के रसूलाबाद में 300 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी। सरकार के अनुसार, इन परिवारों को भूमि विकास और सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही मनरेगा से यहां काम कराया जाएगा, जिससे इन्हें अच्छी सुविधाएं मिल सके।
आज लगभग 5 दशकों के बाद हिन्दू बंगाली परिवारों को उनके नाम के ज़मीन के कागज़ सरकार द्वारा वितरित किये गए हैं। बस यह देखना बाकी रहेगा कि योजना के तहत सरकार द्वारा परिवारों को जो भी सुविधाएँ देने का वादा किया गया है, वह उन्हें कब तक मुहैया कराई जायेगी।
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