छोटे शहरों के 38%, ग्रामीण इलाकों के 47% और 5 लाख से कम आय वाले 40% लोगों ने कोरोना वैक्सीन लेने की इच्छा जताई
कस्बों – गांवों में रहने वाले लोग और सालाना 5 लाख से कम आय वाली आबादी कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने की ज्यादा इच्छुक है. ये तथ्य बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) द्वारा सितंबर में किए गए एक सर्वे में सामने आया है.
वहीं सर्वे के मुताबिक वैक्सीन को लेकर झिझक शहरी आबादी और बुजुर्ग आबादी में ज्यादा है.
सर्वे 14 राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में 3,500 पार्टिसिपेंट्स के सैम्पल के आधार पर किया गया. इस सर्वे में अलग-अलग आय वर्ग के लोगों को शामिल किया गया.
छोटे शहरों में 38%, ग्रामीण इलाकों में 47% और 5 लाख से कम सालाना आय वाले 40% लोग कोरोना वैक्सीन लगवाने के इच्छुक हैं.
वहीं दूसरी तरफ सर्वे में शामिल शहरी इलाके (बड़े शहरों) के 44% लोगों में वैक्सीन को लेकर झिझक है. इसी वर्ग के 56% बुजुर्ग लोगों में भी वैक्सीन को लेकर झिझक है.
ग्रामीण Vs शहरी : वैक्सीन को लेकर क्यों है लोगों में झिझक?
सर्वे के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में जहां ज्यादा लोग वैक्सीन को लेकर इच्छुक हैं, वहां लोगों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
- ग्रामीण इलाके : वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़भाड़, समय की बर्बादी, नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर की कमी उन लोगों के लिए बाधाएं हैं जो वैक्सीन लगवाना चाहते हैं.
- शहरी इलाके : बड़े शहरों में लोगों के बीच वैक्सीन के प्रभावी होने को लेकर शक है, उसके साइड इफेक्ट्स को लेकर शक है, इसलिए वैक्सीन को लेकर हिचक है.
लोगों में कम हुई वैक्सीन लेने की इच्छा
BCG ने तीन सर्वे किए मार्च, मई और सितंबर में. इन तीनों सर्वे के नतीजों की तुलना करने पर पता चलता है कि लोगों में वैक्सीन लगाने की इच्छा में गिरावट दिखाई दी है.
सितंबर के सर्वे में सामने आया है कि मार्च और मई की तुलना में लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर झिझक सितंबर में बढ़ी, फिर चाहे वो बड़े शहर हों,छोटे शहर या ग्रामीण इलाके.
सर्वे जिन राज्यों में किया गया उनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, मेघालय, मध्यप्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात, झारखंड और दिल्ली शामिल हैं.
सर्वे के नतीजों की मानें तो महाराष्ट्र की सबसे ज्यादा आबादी वैक्सीन को लेकर इच्छुक है. महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में 54% और शहरी इलाकों में 39% वैक्सीन लेना चाहते हैं.
दूसरी तरफ दिल्ली में 25% लोग वैक्सीन की इच्छा रखने वालों की कैटेगरी में आते हैं, तो गुजरात और झारखंड में ये आंकड़ा 28% है.
ये भी देखें – असम: नदी के टापुओं पर बसे ग्रामीणों तक ‘बोट क्लीनिक’ पहुंचा रहीं कोरोना वैक्सीन | Fact Check
ग्रामीण इलाके की जनसंख्या की बात करें, तो मध्यप्रदेश में 40% वैक्सीन लेने के इच्छुक हैं, वहीं मेघालय और झारखंड में ये आंकड़ा 41% है.
सभी राज्यों में ये सामने आया है कि वैक्सीन को लेकर झिझक रखने वाला बड़ा तबका शहरी आबादी का है.
एक नजर में समझते हैं राज्यों की डेमोग्राफिक्स
- शहरी आबादी में वैक्सीन लगाने को लेकर इच्छुक लोग 42% ऐसे हैं जिनकी सालाना आय 1.5 लाख से 5 लाख रुपए है है. वहीं शहरी इलाके में वैक्सीन लगाने के इच्छुक 63% लोग ऐसे हैं, जिनकी आय 1.5 लाख से कम है.
- शहरी इलाकों में वैक्सीन लगाने की इच्छा रखने वाले अधिकतर लोग 26-45 आयु वर्ग के हैं. ये आंकड़ा 39% है.
- वहीं ग्रामीण इलाकों में 18-25 आयु वर्ग के 64% लोग वैक्सीन को लेकर सबसे ज्यादा इच्छक हैं.
- शहरी इलाकों में 56 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में 56% में वैक्सीन को लेकर झिझक है. वहीं ग्रामीण इलाकों में 26-45 आयु वर्ग के 36% लोगों में वैक्सीन को लेकर झिझक है.
वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर कम है झिझक
BCG के सर्वे के मुताबिक, बड़े शहरों में 62% लोग वैक्सीन का दूसरे डोज लेने की इच्छा रखते हैं या इसके लिए तैयार हैं वहीं छोटे शहरों में ये आंकड़ा 57% व ग्रामीण इलाकों में 54% है. शहरों में वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर झिझक कम है, ये आंकड़ा 5-6% है.
वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर भी महाराष्ट्री की आबादी सबसे ज्यादा इच्छुक दिखी. महाराष्ट्री के शहरी क्षेत्र में 65% लोग वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर इच्छुक हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 66% है.
वहीं वैक्सीन को लेकर झिझक या डर यहां भी काफी कम अनुपात में है. फिर चाहे वह ग्रामीण इलाका हो या शहरी क्षेत्र. यहां 5-6% लोगों में वैक्सीन को लेकर झिझक है.
डेमोग्राफिक्स की बात करें तो, टियर 1 शहरों की 62% आबादी कोरोना वैक्सीन लेने को लेकर काफी इच्छुक है. वहीं 10 लाख से ज्यादा सालाना आय वाली 62% आबादी कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर इच्छुक है.
शहरी इलाकों में 18-25 आयु वर्ग के 66% लोग वैक्सीन के इच्छुक हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों में 46-55 आयु के 70% लोग भी वैक्सीन लेने के इच्छुक हैं.
यह श्रृंखला क्विंट हिंदी और ख़बर लहरिया पार्टनरशिप का अंश है। लेख क्विंट द्वारा लिखा और रिसर्च किया गया है।
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)