खबर लहरिया Blog Uranium in Mother’s Breast Milk: बिहार में माओं के स्तन दूध में मिला यूरेनियम, अध्यन में बड़ा खुलासा, क्या खतरे में हैं नवजात? 

Uranium in Mother’s Breast Milk: बिहार में माओं के स्तन दूध में मिला यूरेनियम, अध्यन में बड़ा खुलासा, क्या खतरे में हैं नवजात? 

इस शोध में बिहार के छह ज़िलों भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की 17 से 35 वर्ष की 40 स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध के नमूने लिए गए।  

सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: इंडिया टुडे)                

बिहार के कई ज़िलों में स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में यूरेनियम पाया गया है। इस खबर ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार दोनों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया कि जिन शिशुओं का पूरा पोषण सिर्फ़ मां के दूध पर निर्भर है वे इस संदूषण (अशुद्ध या गंदगी) से प्रभावित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहली बार है जब गंगा के मैदानी इलाकों में माताओं के स्तन दूध में यूरेनियम की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह वही क्षेत्र है जहां पहले से आर्सेनिक, (आर्सेनिक एक जहरीला रासायनिक तत्व है जो पानी, मिट्टी और कुछ चट्टानों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।) सीसा और पारा जैसी भारी धातुओं के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरे मौजूद हैं।

नए वैज्ञानिक शोध में यह सामने आया है कि बिहार के छह ज़िलों में स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में यूरेनियम पाया गया है। यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है और इसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने किया है। अध्ययन के अनुसार 2021 से 2024 के बीच 17–35 वर्ष की उम्र वाली 40 महिलाओं के दूध के नमूनों की जांच की गई। रिपोर्ट में पाया गया कि जांच किए गए सभी दूध के नमूनों में यूरेनियम मौजूद था, लेकिन इसकी मात्रा हर ज़िले में अलग-अलग थी। सबसे अधिक यूरेनियम कटिहार जिले में मिला जबकि खगड़िया में औसत स्तर सबसे ज्यादा दर्ज हुआ। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्तन दूध के ज़रिये यूरेनियम बच्चों तक पहुंच सकता है और इससे उन्हें आगे चलकर कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है खासकर गैर-कैंसरजन्य (गैर-कैंसरजन्य का मतलब होता है ऐसी चीज़ जो कैंसर नहीं पैदा करती)  बीमारियों का।

इसके बावजूद विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी तक किसी भी शिशु में गंभीर या लगातार दिखने वाले लक्षण नहीं पाए गए हैं और ज़्यादातर नमूनों में यूरेनियम की मात्रा सुरक्षित स्तर के अंदर थी। एएनआई के रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली एम्स दिल्ली के डॉक्टर अशोक शर्मा जो इस अध्ययन से जुड़े हैं उनका कहना है कि स्थिति चिंता पैदा करने वाली है लेकिन माताओं को स्तनपान बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह बच्चों के लिए अभी भी सबसे सुरक्षित और ज़रूरी पोषण है। यह अध्ययन महावीर कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (पटना), लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, नाइपर-हाजीपुर और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर किया।

यूरेनियम क्या है?

यूरेनियम एक तरह की धातु है जो ज़मीन, पानी और चट्टानों में प्राकृतिक रूप से मिलती है। आम तौर पर यह हमारे आसपास बहुत कम मात्रा में होती है इसलिए ज़्यादा खतरा नहीं होता। लेकिन अगर यह पानी या खाने के ज़रिए शरीर में ज़्यादा पहुँच जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे किडनी, दिमाग और शरीर के विकास पर असर पड़ सकता है खासकर छोटे बच्चों और शिशुओं पर। इसलिए इस धातु के बारे में जानकारी होना और पानी की जाँच करवाना ज़रूरी है।

अध्ययन कैसे किया गया?

इस शोध में बिहार के छह ज़िलों भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की 17 से 35 वर्ष की 40 स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध के नमूने लिए गए। सभी माताओं से पहले सहमति ली गई और उनसे उनके रहने का स्थान, स्तनपान की आदतों और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछे गए। 

किस जिले में कितना यूरेनियम मिला?

शोध में अलग-अलग जिलों के नमूनों की तुलना की गई और पाया गया कि यूरेनियम का स्तर हर जगह समान नहीं था। कुछ जगहों पर मात्रा ज़्यादा थी तो कुछ में कम। अध्ययन के अनुसार – 

– खगड़िया में यूरेनियम का औसत स्तर सबसे ज़्यादा पाया गया।
– इसके बाद समस्तीपुर, बेगूसराय और कटिहार का स्थान रहा।
– भोजपुर और नालंदा में यूरेनियम की मात्रा सबसे कम दर्ज की गई।               

Map showing sample districts and locations in Bihar, India

बिहार, भारत में नमूना जिलों और स्थानों को दर्शाने वाला मानचित्र (फोटो साभार: साइंटिफिक रिपोर्ट्स)                      

सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा कटिहार जिले से आया जहां एक नमूने में यूरेनियम की मात्रा 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक दर्ज की गई जो अध्ययन में पाया गया सबसे ऊँचा स्तर था। वहीं औसत संदूषण के मामले में खगड़िया सबसे ऊपर रहा जहां यह स्तर लगभग 4.03 माइक्रोग्राम प्रति लीटर था। दूसरी तरफ नालंदा में यूरेनियम की औसत मात्रा सबसे कम यानी करीब 2.35 माइक्रोग्राम प्रति लीटर मिली। 

वैज्ञानिकों का बयान: चिंता की ज़रूरत नहीं 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व समूह निदेशक डॉ. दिनेश के. असवाल ने कहा कि परीक्षणों में पाया गया यूरेनियम स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानक सीमा से काफी कम है। उनके अनुसार अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह स्थिति जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा नहीं दिखती।

एनडीटीवी के खबर अनुसार डॉ. असवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार के स्तन दूध नमूनों में दर्ज यूरेनियम स्तर WHO की सुरक्षित सीमा से लगभग छह गुना कम है। उन्होंने माताओं को भरोसा दिलाया कि स्तनपान रोकने की कोई आवश्यकता नहीं है और बच्चों को इससे कोई तात्कालिक जोखिम नहीं है।

दुनिया और भारत में यूरेनियम की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि पीने के पानी में यूरेनियम की सुरक्षित मात्रा 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। कुछ देश, जैसे जर्मनी इससे भी सख्त नियम अपनाते हैं और केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की अनुमति देते हैं। भारत में भी कई जगहों पर पानी में यूरेनियम मिला है। रिपोर्टों के अनुसार देश के 18 राज्यों के लगभग 151 जिलों में यह समस्या देखी गई है। बिहार में यह समस्या अभी कम है और लगभग 1.7% पानी के स्रोतों में ही इसका असर पाया गया है।

दुनिया में और कहाँ समस्या है

कनाडा, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी पानी में यूरेनियम मिला है। कई पिछली रिसर्च में यह बात सामने आई है कि पानी में यूरेनियम अधिक होने के बावजूद कई जगह लोगों में तुरंत बीमारी के लक्षण नहीं दिखे।

अब क्या ज़रूरी है?

शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट के अंत में कुछ ज़रूरी कदम सुझाए हैं ताकि स्थिति को समझा जा सके और भविष्य में जोखिम कम किया जा सके। उनके मुताबिक़ – 

– पूरे राज्य में यूरेनियम की नियमित जांच और निगरानी की जानी चाहिए।

– भूजल का समय-समय पर परीक्षण हो, ताकि पानी पीने लायक है या नहीं यह पता चले।
– गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य सलाह और जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
– पानी, मिट्टी और खाद्य पदार्थों में यूरेनियम कैसे पहुँच रहा है इसके लिए और शोध किए जाएं।
– लोगों को सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध कराया जाए जिसमें ऐसे फ़िल्टर शामिल हों जो यूरेनियम हटाने में सक्षम हों जैसे RO सिस्टम।

 

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