यह मामला वाराणसी ज़िले के चिरईगांव ब्लॉक अंतर्गत मोकलपुर ग्रामसभा का है। यहां लगभग ढाई सौ मनरेगा मज़दूर हैं, जिनमें से करीब 110 मज़दूर सक्रिय रूप से काम करते हैं। इनमें से लगभग 15 से 20 मज़दूरों का आरोप है कि उन्होंने जुलाई महीने में मनरेगा के तहत काम किया था। काम के दौरान तालाबों की खुदाई हुई थी, कुछ कच्ची सड़कों पर मिट्टी डाली गई थी और पौधे लगाए गए थे। लेकिन इन मज़दूरों का कहना है कि उन्हें अब तक एक हफ़्ते की मज़दूरी नहीं मिली है। मज़दूरों का कहना है कि मजदूरी पहले ही बहुत कम मिलती है, और अगर मेहनत करने के बाद भी समय पर मज़दूरी न मिले, तो उनका परिवार कैसे चलेगा? क्या हम भूखे रहेंगे या हमारे बच्चे भूखे सोएंगे? हमें उम्मीद थी कि काम करने के बाद मजदूरी मिलेगी तो घर की ज़रूरतें पूरी होंगी, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिला है।
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