खबर लहरिया Blog UP Shravasti Madrsa News: श्रावस्ती के 30 मदरसों को राहत, हाईकोर्ट ने दिए मदरसे खोलने के आदेश 

UP Shravasti Madrsa News: श्रावस्ती के 30 मदरसों को राहत, हाईकोर्ट ने दिए मदरसे खोलने के आदेश 

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिलें में प्रशासन की कार्यवाही से बंद किए गए 30 मदरसों पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सभी मदरसों को तुरंत खोला जाए और यहां पढ़ाई फिर से शुरू की जाए।

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिलें में प्रशासन की कार्यवाही से बंद किए गए 30 मदरसों (मदरसा का हिंदी अर्थ है स्कूल) को आख़िरकार हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने श्रावस्ती जिले में 30 मदरसों के मामले में अहम फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिसों को खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 अगस्त 2025 को आदेश दिया कि इन सभी मदरसों को तुरंत खोला जाए और यहां पढ़ाई फिर से शुरू की जाए। अदालत ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर सरकार को आगे कोई कदम उठाना है तो उसे पूरी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। मदरसों को अपनी बात रखने का पूरा मौका देना होगा। 

कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद 

यह मामला जुलाई शुरुआत में सामने आया था। जब पहलगाम आतंकी हमला सुर्खियों में था। उस दौरान नेपाल बॉर्डर से लगे कुछ जिलों में अवैध मदरसों के खिलाफ मस्जिदों और ईदगाहों के खिलाफ बड़ा एक्शन हुआ था। दरअसल 8 जुलाई 2025 को श्रावस्ती में जिला प्रशासन ने सड़क किनारे अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया था। इसी कार्यवाही में प्रशासन ने कई इमारतों को नोटिस भी दिया था। इसी दौरान क़रीब 30 मदरसों को भी बंद किया गया था। सूत्रों के अनुसार याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने बिना उचित प्रक्रिया और सुनवाई का अवसर दिए ही इन मदरसों को बंद करने के आदेश जारी किए थे। अधिवक्ता का तर्क था कि नोटिस न तो सही तरीके से शामिल किए गए और न ही प्रभावित पक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिला। द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, “प्रशासन ने एक ही दिन में 100 से ज्यादा मदरसों को समान नोटिस दिए। किसी को भी अपने पक्ष को रखने का अवसर नहीं मिला। इससे इलाके में काफी आक्रोश फैल गया।”  

अदालत का पहला हस्तक्षेप 

मदरसे नहीं टूटने के पक्ष में कुछ लोग ने आदलत से गुहार लगाई। मामला अदालत पहुंचा तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई अदालत ने कहा कि बिना सुनवाई किसी संस्था को बंद करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि अदालत ने कहा, “अगर सरकार आगे कोई कदम उठाना चाहे तो कानूनी प्रक्रिया के तहत ही फैसला लिया जाना चाहिए, और मदरसों को सुनने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए”

मीडिया की पड़ताल और खुलासे 

इस बीच 25 अगस्त 2025 को द क्विंट की एक पड़ताल ने बड़ा खुलासा किया। रिपोर्ट में बताया गया कि श्रावस्ती में एक ही दिन में सौ से ज्यादा मदरसों को लगभग एक जैसे नोटिस दिए गए। इनमें यह नहीं लिखा था कि असली कारण क्या है और संस्थानों को अपनी सफाई देने का मौका भी नहीं मिला। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद मामला और गर्मा गया और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।

हाईकोर्ट का सख्त रुख

लगातार सुनवाई के बाद बीते 22 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि श्रावस्ती के 30 मदरसों को तुरंत खोला जाए। अदालत ने कहा है कि बच्चों की पढ़ाई बाधित करना किसी भी हाल में सही नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर भविष्य में कोई कदम उठाना होगा तो क़ानून के तहत ही उठाया जाएगा। 

सरकार की प्रतिक्रिया 

मदरसे के फैसले के कुछ दिन बाद, 26 अगस्त 2025 को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को अपना पक्ष बताया। सरकार ने कहा कि अभी तक किसी भी मदरसे को न तो गिराया गया है और न ही गिराने की कोई योजना है। सरकार ने भरोसा दिया कि अगर भविष्य में कोई कदम उठाना होगा तो कानून के तहत ही उठाया जाएगा। इसके बाद अदालत ने समीक्षा याचिका का समापन कर दिया।

श्रावस्ती के मदरसों पर छाए अनिश्चितता के बादल अब हट गए हैं। मगर अब यह पूरा मामला यह सवाल उठाता है कि क्या प्रशासनिक कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई के इतनी बड़ी संख्या में संस्थानों को प्रभावित कर सकती है। हाईकोर्ट ने तो साफ संकेत दे दिए हैं कि कोई भी कदम उठाने से पहले नियमों और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।

 

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