प्रयागराज जिले के जसरा ब्लॉक का सेहुडा गांव, जहां करीब तीन हजार की आबादी है, आज भी अन्ना जानवरों की समस्या से बुरी तरह जूझ रहा है। गांव में गौशाला नहीं बनी है और इसका सीधा खामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। खड़ी फसल हो या कटी हो, अन्ना जानवर हर कदम पर किसानों की मेहनत चौपट कर देते हैं किसान दिन-रात खेत की रखवाली करने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट- सुनित देवी, लेखन – कुमकुम
गौशाला न होने की वजह से खेतों में अन्ना जानवर
सेहुडा के किसान रविशंकर बताते हैं कि हमने तीन बीघा धान लगाया था काफी मेहनत के बाद धान की फसल तैयार हो गई थी यानि धान पक गया था बस काटना बाकी था। इतने में अन्ना जानवर खेत में घुस आए और पूरा धान चौपट कर दिया, अब कुछ नहीं बचा है ये सब गौशाला न होने के कारण हो रहा है। हमारे ग्राम पंचायत में गौशाला नहीं है, इसलिए जानवर इधर-उधर घूमते रहते हैं।
रात-दिन खेत पर पहरा
सेहुडा गांव की रहने वाली रानी बताती हैं कि “हम लोग जब से धान की रोपाई किये है तब से ही हम लोग खेत पर डेरा डाल कर रखवाली कर रहे हैं। बरसात हो, बिच्छू काट जाए, ठंड लग जाए… कोई भी समस्या हो, लेकिन खेत छोड़ नहीं सकते। अगर एक रात खेत खाली छोड़ दें तो जानवर पूरा खेत चर जाते हैं।”
वे कहती हैं कि खेती ही उनका सहारा है, इसी से घर चलता है, दवाई पानी भी इसी से करते हैं और बच्चों की पढ़ाई भी इसी खेती पर निर्भर रहती है।
सेहुडा गांव में अभी तक गौशाला नहीं बनी है। इस वजह से दूसरे गांवों के भी अन्ना जानवर यहां आ जाते हैं। गांव के खेतों में इस समय सैकड़ों जानवर घूम रहे हैं। जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी किसानों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
किसान बताते हैं कि ठंड, कुहासा और रिमझिम बारिश में भी उन्हें खेत में ही घोपा मतलब झोपड़ी बनाकर रहना पड़ता है।
अगर हम एक दिन भी खेत पर न जाएं, तो जानवर पूरा गेहूं चर डालते हैं। हमारी सारी मेहनत मिट्टी हो जाती है। किसानों का कहना है कि पिछले साल सेहुडा और आस-पास गांव के किसानों ने अन्ना जानवरों की समस्या को लेकर बारा तहसील में धरना भी दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
गौशाला बनवाने की मांग
सेहुडा गांव किसान राजेश कहते हैं कि “हम लोग काफ़ी दिनों से गौशाला बनवाने की मांग कर रहे हैं है लेकिन अभी तक नहीं बना। कई बार प्रधान से भी कह चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। हम लोगों की एक तो वैसे ही खेती बाड़ी करना अब बहुत महंगा हो गया है। जुताई कराओ तो 1400 रुपये घंटा, खाद हजार रुपये, बीज भी महंगा। इतना खर्च लगाने के बाद भी फसल जानवर खा जाते हैं। अगर गौशाला बनी होती तो इतना नुकसान नहीं होता।”
गौशाला के लिए जमीन नहीं मिल रही – प्रधान
सेहुडा ग्राम पंचायत के प्रधान रज्जन कुमार का कहना है कि उनके गांव की आबादी लगभग तीन हजार है। उन्होंने बताया कि गौशाला बनाने के लिए कहीं जमीन नहीं है। अपनी तरफ से उन्होंने बारा तहसील में लिखित रूप में आवेदन दिया है कि कहीं खाली जगह हो तो नाप-जोख करके गौशाला बनाई जाए, लेकिन अब तक लेखपाल ने कहीं जमीन नापी नहीं। प्रधान का कहना है कि अगर जमीन मिल जाती तो गौशाला का काम शुरू हो जाता।
वहीं ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) सुनील कुमार सिंह ने बताया कि उनके ब्लॉक में 63 ग्राम पंचायत हैं। उन्होंने कहा कि सेहुडा ग्राम पंचायत के लिए उन्होंने प्रधान से कहा है कि अगर कहीं जमीन खाली हो तो गौशाला बनवाई जा सकती है। बीडीओ ने बताया कि जब उन्होंने पता किया तो कहीं भी खाली जमीन नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अगले तहसील मीटिंग में यह मुद्दा उठाया जाएगा और अगर जमीन मिल जाती है तो गौशाला का निर्माण कर दिया जाएगा।
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