खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट यूपी पुलिस ने और कुछ किया न हो लेकिन महिला हिंसा में रिकॉर्ड बनाया है देखिए जासूस या जर्नलिस्ट में

यूपी पुलिस ने और कुछ किया न हो लेकिन महिला हिंसा में रिकॉर्ड बनाया है देखिए जासूस या जर्नलिस्ट में

इस समय क्राइम की हालात ऐसे हो गई हैं जैसे खेत से फालतू का कचरा निकाल कर काटकर फेंक दिया जाता है। जी हां इस दौर पर जहां भी आप नजर डालेंगे आपको क्राइम के अलावा कुछ भी नहीं मिलेगा क्राइम रोकने के लिए सरकार भले ही वादे कर रही हो, एनकाउंटर करा कर भले ही अपनी तारीफ कर रही हो, पर हकीकत यह है कि इन 3 सालों में क्राइम में अपना रिकॉर्ड तोड़ महिला हिंसा का रिकॉर्ड बनाया है। यह हिंसा आम हिंसा नहीं बल्कि ऐसी हिंसा है जो लोगों के दिल में नफरत पैदा कर रहे हैं। यह नफरत इतनी बुरी तरह से हिंसा का रूप लेती है कि किसी की जान जाने के बाद भी लोगो के दिल की आग शांत नहीं होती। जी हां हम बात कर रहे हैं बांदा जिला के बदौसा थाना क्षेत्र की जहां पर 12 अक्टूबर को पति ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी ही पत्नी के साथ रेप किया और फिर जान से मार दिया। तो इस पूरा वीडियो देखने के लिए बने रही है मेरे साथ जासूस या जर्नालिस्ट पर।

दोस्तों मामला बांदा जिला के बदौसा थाना क्षेत्र का है जहां मृतक सुनीता के मायके वालों ने आरोप लगाया कि सुनीता के पति भैरव प्रसाद ने दहेज की मांग ना पूरी होने की वजह से सुनीता के हत्या कर दी है। यह सूचना हमे पुलिस के द्वारा मिली। जब हम मौके पर पहुँचे तब तक पुलिस ने सुनीता का शव कब्जे में लेलिया था। हमे बिना दिखाए ही बदौसा थाना की पुलिस ने लाश का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।

 

मृतक सुनीता के भाई ने बताया कि 4 साल पहले अपनी हैसियत के हिसाब से बहन की शादी भैरवप्रसाद के साथ की थी। पर भैरव प्रसाद दहेज में एक लाख रुपये और सोने की जंजीर मांग रहा था, ना देने पर हमारी बहन के साथ मारपीट करता था। कई बार जान से मारने की कोशिश की, जिसकी वजह से हमने बांदा में हमने भैरव प्रसाद के खिलाफ दहेज प्रथा का मुकदमा लगा दिया था। एक बार सुनीता मुकदमा जीत गई थी। भैरव प्रसाद हमारे घर हमारी बहन को लेने घर आया तो हमने भेज दिया। फिर से भैरव प्रसाद उसी तरह गाली गलौज आप मारपीट करने लगा 12 अक्टूबर की रात में भैरव प्रसाद और उसकी माँ हमारी बहन के लेकर खेत में गए और उसको वहीं जान से मार दिया। सुनीता की लाश से एक आंखें भी निकाल ली थी।

इस मामले को लेकर जब हमने लोगो से बातचीत की, मामला समझने की कोशिश की तो कुछ और ही निकल कर आया। लोगो ने दबी जुबान में बताया कि भैरव प्रसाद अपनी पत्नी के ऊपर शक करता था। इसलिए मारपीट और गाली गलौज करता था। सुनीता ने भैरव प्रसाद के ऊपर कोर्ट से मुकदमा लगा दिया। सुनीता मुकदमा जीत गई थी। अपने ससुराल में रह रही थी। पर पति से अलग घर मे रहती थी। कुछ दिन पहले पति का एक्सीडेंट हो गया था। इसलिए सुनीता उसकी देखरेख करने लगी। जब भैरव प्रसाद सही हो गया तो 12 अक्टूबर की रात को अपनी पत्नी को बहाने से बाहर ले गया। वही पर भैरव ने अपने दोस्तो को बुला लिया। भैरव और उसके दोस्तों ने पहले खूब शराब पी, फिर सब लोगो ने महिला के साथ रेप किया। और फिर हत्या कर दी। हत्या भी इतनी आसानी से नही की। महिला को 3 गोली मारी है। एक सर में, दूसरी सीने में और तीसरी गुप्तांग में। एक आंख भी निकाल ली। बहुत बेरहमी और बेदर्दी से हत्या की है।

अब आप ही बताइए गुप्तांग में गोली मारने का क्या मतलब होता है। जब सिर में और सीने में गोली मार दी तो महिला मर ही जाएगी। पर फिर भी गुप्तांग में गोली मारी। आखिर कैसी नफरत है जो महिलाओ को जीने नही दे रही है।

 

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सवाल ये उठ रहा है कि

जो आदमी अपनी पत्नी के ऊपर शक करता था वह अपने सामने ही महिला का रेप करवा रहा था।

क्या शक की वजह से हत्या की गई है या दहेज के लालच से।

पुलिस ने मां को तो गिरफ्तार कर लिया है, पर मेन अपराधी अभी भी फरार है।

महिलाओं के लिए इतने कानून बने है, की आप गिनती गिनना बैठेंगे तो सुबह से शाम हो जाएगी, पर अपराध उतने ही बढ़ रहे हैं जितने नियम और कानून।

लोग अपराधियो को फांसी की मांग करते है, डर पैदा करने की बात करते है, पर आपको क्या लग रहा है ऐसा हो रहा है या होगा। क्या होगा अपराधियो में ख़ौफ़?

पुलिस भी एनकाउंटर कर वाह वाही लुटती है, पर ऐसे अपराधियो पर नजर क्यों नही रखती जिससे ये घटना ही न घटे।

हमारे अनुसार जैसे ही कोई पीड़ित महिला थाना कोतवाली जाती है, वैसे ही अगर पुलिस मामले को गम्भीरता से ले ले, और जो नियम कानून बने है उसको नजर में रखते हुए कार्यवाही कर तो शायद हर रोज नए नियम कानून बनाने की जरूरत न पड़े और अपराध भी कम हो।