पत्रकार की रिपोर्टिंग को सरकार के काम में रुकावट बताकर लगाया झूठा आरोप और किया गिरफ्तार।
यूपी में बीते सालों में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और मौतों की खबरें सामने आयी थी। अधिकतर मामलों में पत्रकार को झूठे केस में फंसाया गया था। किसी को उसकी रिपोर्टिंग करने की वजह से जान से मार दिया गया था। लेकिन पत्रकार का तो काम ही होता है न, रिपोर्टिंग के ज़रिये सच को सामने लाना। क्यों? फिर पत्रकारों के साथ यह होती घटनाएं क्या प्रशासन पर सवाल नहीं उठाती। जो पत्रकार को सुरक्षित रखने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हमेशा पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में बात की जाती है। जी हाँ, सिर्फ बात की जाती है। अगर सच में पत्रकारों को राज्य में सुरक्षा प्रदान की जा रही होती तो शायद पत्रकारों पर हमले नहीं होते। उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित नहीं किया जाता। हाल ही में, यूपी के चित्रकूट जिले में 19 अप्रैल को दैनिक आज के पत्रकार शुशील द्रिवेदी पर झूठे आरोप लगाने का मामला सामने आया है। जिसमें पत्रकार को सरकारी काम में रुकावट डालने का झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया है।
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पत्रकार के इंसाफ के लिए यूपी ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने की बैठक
गलत आरोप में पत्रकार शुशील को हिरासत में लिए जाने को लेकर अन्य पत्रकारों ने 8 मई को एक बैठक की। बैठक यूपी ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन राजापुर इकाई के द्वारा की गयी थी। जिसमें गिरफ्तार किये पत्रकार शुशील के लिए हक की लड़ाई लड़ने की बात की गयी। बैठक में कहा गया कि “अगर प्रशासन शुशील द्रिवेदी के फ़र्ज़ी मुकदमे को बरी नहीं करता तो हम सभी पत्रकार प्रशासनिक खबरें नहीं निकालेंगे। हम किसी पत्रकार के साथ ऐसा रवैया नहीं सहेंगे। अगर हम चुप बैठ गए तो पुलिस के हौसले और बढ़ जाएंगे।”
पत्रकार को छोड़ा जाए – चित्रकूट प्रेस क्लब के अध्यक्ष
चित्रकूट प्रेस क्लब के अध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि पंचायत चुनाव कवरेज करने गए पत्रकार शुशील द्रिवेदी को पुलिस द्वारा गलत आरोप लगाकर पकड़ा गया है। वह कहते हैं कि पुलिस को पत्रकार पर लगाए सारे झूठे आरोपों को वापिस लेकर पत्रकार को छोड़ना होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो यह सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में कही गयी बात पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
वह आगे कहते हैं कि पत्रकार सबके लिए आवाज़ उठाता रहता है। वह भी अपने पत्रकार साथी के लिए खड़े रहेंगे।
पत्रकारों ने की जांच की मांग
दैनिक आज के पत्रकार शंकर यादव ने एसपी से पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमें की जाँच कराये जाने की मांग की है। साथ ही अन्य पत्रकार भी पूरे मामले की जाँच चाहते हैं।
यह है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, 19 अप्रैल को जब राजापुर थाना क्षेत्र गाँव कनकोटा में पंचायत राज्य चुनाव की वोटिंग चल रही थी। उस समय चुनाव में खड़े दो प्रत्याशियों के बीच झगड़ा हो गया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर मतदान की पेटियों से हमला किया। जिसके बाद यह सामने आया कि मतदान पेटी में मौजूद बैलट पेपर गायब हो गए। यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ प्रत्याशी उसे घर ले गए। परिणामस्वरूप, इस जगह पर पूरे मामले के बाद दोबारा से वोटिंग कराई गयी।
जब झगड़े की खबर पत्रकार शुशील को लगी तो वह भी मौके पर कवरेज करने के लिए पहुंचे। उस दौरान पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न करते हुए दोनों पक्षों को जाने दिया गया था। पत्रकार ने पूरी घटना की रिपोर्ट कर खबर बना ली और अपने ग्रुप में शेयर कर दी। इसके बाद वह अपने साले यानी पत्नी के भाई के घर गए। जहां पूजा हो रही थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें, पत्रकार के साले साहब भी चुनाव में खड़े हुए थे और जीते भी थे।
जब पूजा चल रही थी तभी पुलिस आई और शुशील को गिरफ़्तार करने की बात करने लगी। पुलिस ने पत्रकार पर आरोप लगाया कि सरकार के काम में उनके द्वारा रुकावट डाली गयी है। जिसकी वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया जा रहा है। उस समय पत्रकार ने पुलिस से कहा कि जब वह अपनी भतीजी को घर छोड़कर आ जायेंगे तो वह उनके साथ चलेंगे।
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पत्रकार को घर से किया गिरफ़्तार
19 अप्रैल की ही रात को पुलिस पत्रकार शुशील के घर पहुंची और उसे गिरफ़्तार कर अपने साथ ले गयी। पत्रकार की पत्नी हेमा ने कहा कि उनके पति पर झूठा आरोप लगाकर पकड़ा गया है। वह कहती हैं कि जहां सरकार कोरोना महामारी की वजह से कैदियों को छोड़ रही है। ऐसे में उनके पति को जेल में डाला जा रहा है। वह आगे कहती हैं कि पुलिस लोगों की ज़िंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
इन धाराओं के तहत किया गया गिरफ्तार
पूरी घटना को लेकर खबर लहरिया ने राजापुर के थाना प्रभारी जय शंकर सिंह से बात की। उनका कहना है कि पत्रकार को धारा 412, 395,332,353, 427 504,506 लगाकर गिरफ़्तार किया गया है। उनका यह भी कहना है कि पत्रकार को मतदान स्थल से ही गिरफ़्तार किया गया है। उनके घर से नहीं किया गया है।
पूरा मामला अब और भी ज़्यादा पेचीदा नज़र आ रहा है। एक तरफ पत्रकार की पत्नी का कहना है कि शुशील को घर से पकड़ा गया। वहीं पुलिस का कहना है कि उसे घटनास्थल से पकड़ा गया। इसके आलावा, पत्रकार को पकड़ने की पुलिस की वजह भी ठोस नहीं लगती। पत्रकार कनकोटा गाँव कवरेज के लिए गए थे तो उनका वहां उपस्थित होना ज़ाहिर सी बात है। पर सरकार के काम में रुकावट पैदा करना, जैसा कार्य करने की बात तो पुलिस ने अभी अपनी तरफ से स्पष्ट नहीं की। न ही पुलिस के पास पत्रकार को लेकर कोई सबूत है। यह सब चीज़ें तो सिर्फ इस तरफ इशारा करती हैं कि प्रदेश में फिर से पत्रकारों को झूठे आरोपों में पकड़ने का सिलसिला ज़ारी हो गया है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए नाज़नी रिज़वी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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