खबर लहरिया Blog UP NEWS: कम नामांकन वाले स्कूलों का एक में विलय, शिक्षक कर रहे विरोध 

UP NEWS: कम नामांकन वाले स्कूलों का एक में विलय, शिक्षक कर रहे विरोध 

यूपी में कक्षा 8 तक के 5000 से ज्यादा स्कूल को एक में मिलाने की तैयारी चल रही है, लेकिन इसको लेकर कई शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं

Photo of children in government school

सरकारी स्कूल में बच्चों की तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहिरया)

यूपी में कक्षा 8 तक के 5000 से ज्यादा स्कूल को एक में मिलाने की तैयारी चल रही है। ये ऐसे परिषदीय स्कूल होंगे जिनमें 50 से कम नामांकन हैं। इसके सम्बन्ध में सोमवार 16 जून 2025 को शासन की तरफ से एक आदेश जारी किया गया। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपक कुमार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों व जिला राज्य परियोजना अधिकारीयों के नाम जारी किए। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में बच्चे कम हैं उन स्कूलों को एक में मिलाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाए। 

उत्तर प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां बहुत ही कम बच्चों का नामांकन होता है। ऐसे स्कूलों को नजदीक के स्कूलों और बड़े विद्यालय के साथ मिला दिया जायेगा। लेकिन इसको लेकर कई शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि स्कूलों को मर्ज तो कर दिया जायेगा लेकिन कोई नए शिक्षक विलय स्कूल के नहीं होंगे तो कम नामांकन वाले शिक्षक कहां जायेंगे? 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जिलें में 2071 परिषदीय है। इनमें से 1436 प्राथमिक, 334 उच्च प्राथमिक और 301 कम्पोजिट (संयुक्त कक्षाएं) स्कूल हैं। 

कम नामांकन वाले स्कूल का इस्तेमाल प्री प्राइमरी के लिए 

जिन स्कूलों का विलय करा दिया जायेगा उसके बाद खाली स्कूलों का इस्तेमाल प्री प्राइमरी (को लोकेटेड) आंगनबाड़ी के लिए जायेगा। यदि पहले से प्री प्राइमरी आंगनबाड़ी मौजूद है तो उसका इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र के लिए किया जाएगा। 

परिषदीय स्कूलों का विलय का उद्देश्य 

प्रशासन स्कूलों को इसलिए एक साथ मिलाने की तैयारी में है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी हो और संसधानों का  सही इस्तेमाल हो। इस आदेश में ‘शैक्षिक गुणवत्ता’, ‘संसाधनों का समुचित उपयोग’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।

परिषदीय स्कूलों का विलय का बच्चों और शिक्षक पर असर 

यूपी के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में आज भी स्कूलों की कमी है और यदि स्कूलों को एक में मिला दिया जाता है तो बच्चों और शिक्षक दोनों के लिए स्कूल दूर हो जाएंगे। वैसे ही ग्रामीण क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता और ऐसे में दूर स्कूल जाने में दिक्कत आ सकती है।

 

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