खबर लहरिया Blog यूपी : आश्वासन नहीं सड़क चाहिए, गांव में विकास का रास्ता चाहिए : सरकार के झूठे वादों की ग्रामीण रिपोर्ट

यूपी : आश्वासन नहीं सड़क चाहिए, गांव में विकास का रास्ता चाहिए : सरकार के झूठे वादों की ग्रामीण रिपोर्ट

पक्की सड़क व गड्ढा मुक्त सड़क का वादा यूपी के सीएम बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया था। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में न तो पक्की सड़कें बनी और न ही गड्ढा मुक्त सड़कों का वादा पूरा हो पाया।

                                                                                                     दलदल भरी सड़क   से रास्ता पार करते हुए लोग

किसी भी जगह बनी सड़क उस जगह के विकास, परेशानियां व कमियों को दिखाने का काम करती हैं। जिस जगह सड़क ही न हो तो उस जगह का आंकलन कच्चे-दलदल भरे रास्तों को देखकर कर लिया जाता है।

भारत एक विकासशील देश है लेकिन भारत देश का अधिकतर हिस्सा जो ग्रामीण क्षेत्रों में बसा हुआ है, उनकी गलियां विकास के पांव की तरह टूटी हुई है। शायद यह कहना चाहिए कि विकास के पांव ही इन ग्रामीण पिछड़े क्षेत्रों में नहीं पड़ें।

देश में बड़े-बड़े एक्सप्रेसवे और हाइवे बन रहें हैं। रोड नेटवर्क का जाल बुना जा रहा है लेकिन यह कार्य और विचार सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक सीमित है। शायद क्योंकि बाहर से लोगों को सिर्फ शहर दिखाई देता है, पीछे छूटा हुआ गाँव नहीं जो आगे तो बढ़ना चाहता है पर उसके पैर कीचड़ में फंसे हुए हैं। उसे कोई हाथ पकड़कर बाहर निकालने वाला भी नहीं है। अगर कुछ है तो ढकोसले वादे और उन वादों पर बनती योजनाएं और उन पर खर्च होता जनता से लिया धन।

हाल ही में बनें बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जिसका लोकार्पण 16 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, वह पांच दिन बाद ही बारिश की वजह से जगह-जगह से टूट गया। करोड़े के बजट व पीएम द्वारा उद्घाटित किये गए इस एक्सप्रेसवे पर लाखो लोगों की नज़र पड़ी। कई सवाल भी उठाये गए।

लेकिन जिन गाँवो की मिट्टी की सड़कें बारिश में दलदल बन जाती हैं, लोग आपात की स्थिति में उस रास्ते से कहीं भी जल्दी नहीं पहुंच सकते, जहां एम्बुलेंस तक नहीं पहुँच पाती, जिस सड़क से बच्चों की शिक्षा में अड़चन पैदा होती है, उस ओर कोई नहीं देखता। उस ओर सरकार के वादे नहीं जाते। उस ओर विकास का हल्ला मचाने वाले लोगों की नज़र नहीं पड़ती , क्योंकि भीतर क्या चल रहा है यह जानने की किसे पड़ी है, क्यों?

गाँव तो भीतरी क्षेत्र है, उसे कौन देख रहा है। शहर की चकाचौंध तो बाहरी आवरण है। लोगों और सरकार की नज़रें तो बस वहीं तक सीमित है।

ये भी देखें – चित्रकूट : बाढ़ से गांव में फैली गंदगी से बीमार हो रहे लोग

हर समस्या का समाधान बस आश्वासन

                                                                                                            गड्ढा मुक्त योजना की तस्वीर

खबर लहरिया ने ग्रामीण क्षेत्रों की कच्ची सड़कें व सरकार की गड्ढा मुक्त योजना को लेकर ज़मीनी तौर पर काफ़ी कवरेज की है। कवरेज में जो एक बात सामान्य तौर पर सामने आई, वह यह थी

“गांव के प्रधान या अधिकारी से बोलते हैं तो बस आश्वासन मिल जाता है कि जल्द बन जाएगा लेकिन सड़क कभी बनती नहीं। हम बोल-बोलकर थक जाते हैं और फिर हार मान लेते हैं।”

“हर समस्या का समाधान बस आश्वासन होता है।”

छतरपुर जिले के बकसहवा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत निगानी के गौरांग गाँव की परेशानी भी सड़क है। ग्रमीणों द्वारा कई सालों से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की जा रही है पर उनकी कोई सुनने वाला ही नहीं है।

चुनाव आते हैं तो नेता कहते हैं, “मुझे वोट दो, मैं सड़क बनवा दूंगा।” फिर चुनाव खत्म होने के बाद वादा भी खत्म हो जाता है।

गौरांग गाँव में अधिकतर आदिवासी परिवार है जिनकी जनसंख्या लगभग 200 के करीब है। इस गांव की 6 किलोमीटर तक की सड़क बनवाने के लिए ग्रामीणों ने हर प्रयास कर लिया पर कुछ परिणाम नहीं आ पाया।

           कच्ची सड़क होने की वजह से डंडे पर टांग कर मरीज़ को अस्पताल ले जाते हुए लोग

गांव के रज्जु कहते हैं, एक तो जंगली इलाका है। बरसात में यहां का रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। कोई बीमार हो तो उसे खटिया पर रखकर अस्पताल लेकर जाना पड़ता है। बच्चे स्कूल जाते हैं तो उनकी यूनिफार्म गंदी हो जाती है।

दिलीप कहते हैं, “बरसात के समय हम लोगों को इलाज भी नसीब नहीं हो पाता। हमारा संपर्क अपने ही नज़दीकी गाँवो से टूट जाता है। न किसी प्रोग्राम में जा पातें हैं, न शादी में क्योंकि कपड़े ही गंदे हो जाते हैं।”

– रोड बनाने का रहेगा प्रयास

no pucca road in the village of the Lalitpur district

कच्ची सड़क की वजह से लोगों को सड़क पार करने में आती परेशानी

खबर लहरिया को गांव की नवनिर्वाचित सरपंच लक्ष्मी जगदीश यादव बताती हैं कि वह जल्द रोड बनवाने का प्रयास करेंगी। वह जानती हैं कि वहां की रोड ज़्यादा खराब है।

वहीं जनपद पंचायत अध्यक्ष रजनी मोती यादव का कहना था कि मौसम खुलते ही सड़क योजना निर्माण के तहत गांव की सड़क बनवाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

जिले के कलेक्टर संदीप जी.आर की मानें तो गौरांग गाँव के ग्रामीणों की समस्या उनके संज्ञान में ही नहीं है। वह इलाका भी जंगली है। वह जल्द ही ज़िम्मेदार लोगों को सूचित करेंगे ताकि जल्द से जल्द रोड बने। वहीं वह खुद भी जाकर देखेंगे और रोड जल्दी बनवाने का आदेश देंगे।

ये भी देखें – टीकमगढ़ : मवेशियों में फैली गलाघोंटू बीमारी

चारपाई पर मरीज़ को रख, कच्ची सड़क पार करते हैं लोग

             खराब सड़क होने की वजह से चारपाई पर मरीज़ को रख अस्पताल ले जा रहे हैं लोह

खबर लहरिया की 25 मई 2022 की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, एमपी के छतरपुर जिले में रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि यहां के 8 से 10 गाँव ऐसे हैं जहां सड़क न होने की समस्या सबसे बड़ी है। आने-जाने का मुख्य रास्ता कच्चा और नाले से भरा है। उस रास्ते से गुज़रना भी ग्रामीणों की मज़बूरी है या ये कहें की एकमात्र विकल्प है।

गांव चंदला विधानसभा, सरबई उपतहसील का लोधीनपुर भानपुर : ग्रामीण संतोष बताते, लोधीनपुर जाने से पहले एक बहुत बाड़ा नाला मिलता है जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है। किसी की ज़्यादा हालत खराब रहती है और वह चलने की हालत में नहीं होता, ऐसी समस्या में एम्बुलेंस भी गाँव के अंदर नहीं आ पाती। लोग चारपाई की मदद से मरीज़ को बाहर लेकर जाते हैं।

ग्रामीण कहते हैं कि अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे बांस या बल्ली बांधकर एक तरफ से दूसरी तरफ़ लेकर जाया जाता है।

वोट के बाद तो पहचानते तक नहीं

15 अगस्त 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, ललितपुर जिले ब्लाक महरौनी के मुड़िया गांव का रास्ता लगभग 10 साल से खराब है। सरकार की ग्रामीण संपर्क मार्ग योजना के तहत हर गांव की सड़क का निर्माण होना था लेकिन अभी भी ऐसे सैंकड़ों गांव हैं जहां आज भी जानें के लिए रास्ता ही नहीं है। सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे और गड्ढों में तब्दील दलदल है जो लबालब कीचड़ से भरा हुआ है।

रास्ते में पैदल चलना मुश्किल है अगर कोई बिमारी हो जाए तो यहां एम्बुलेंस सेवा भी नहीं मिल सकती। बारिश के समय तो दुर्घटना होने का खतरा हमेशा ही रहता है।

‘चुनाव के समय कहते हैं वोट दो काम करवा देंगे फिर वह पहचानते ही नहीं।’ – गाँव मुड़िया की महिला मक्खन

‘रास्ते से निकलने में तो हर समय दिक्कत रहती है। रात को निकलो तो गड्ढे में पैर फंस जाता है और गिर जाते हैं।’- गाँव मुड़िया के कैलास नारायण

‘स्कूल गिरते-फिरते जाते हैं। ड्रेस खराब हो जाती है तो अगले दिन स्कूल जाते हैं। पढ़ाई भी छूट जाती है।’ – चौथी कक्षा में पढ़ने वाला ऋषि

इमरजेंसी में अस्पताल पहुँच पाना भी मुश्किल

सीतामढ़ी : जहां सड़क खराब हो वहां समस्याएं फिर अपने आप ही पैदा होने लगती है। जिले के प्रखण्ड सोनबरसा, पंचायत खाप खोपड़ाहा, गांव मुहचट्टी की सड़क लगभग 4 सालों से खराब है। खराब सड़क से ग्रामीण व यात्री दोनों ही परेशान रहते हैं।

लोग कहते हैं, अधिकारी आते हैं और देख कर चले जाते हैं। यहां तक की इमरजेंसी की समस्या में लोग अस्पताल भी नहीं पहुँच पाते।

जो सामने आया वह यही है कि सड़क बनवाने के वादें होते हैं, आश्वासन भी दिया जाता है, लोग सड़क बनने का इंतज़ार करते है ठीक विकास की तरह की सड़क बन जाये तो विकास भी आ जाएगा। लेकिन न बनी सड़क, न हुआ विकास और यही है सरकार और ज़िम्मेदार अधिकारियों के विकास के वादें और तस्वीर की रिपोर्ट।

ये भी देखें – वाराणसी : रेलवे क्रॉसिंग का रास्ता बना हादसे का खौफ़

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journal   ism, subscribe to our  premium product KL Hatke