सत्र 2025-26 से होगा प्रवेश, कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे मुफ्त में कर सकते हैं पढ़ाई, अगले वर्ष से कक्षा 12 तक इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य शुरू होगा।
उत्तर प्रदेश के 9 जिले में इसी वर्ष से यानि सत्र 2025-26 से 9 नए सर्वोदय विद्यालय संचालित (खोले जाएंगे) किये जाएंगे। इन सभी जिलों में 5 एकड़ में बने इन विद्यालयों में सत्र 2025-26 में कक्षा 6 से 8 तक कुल 2000 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी। अगले वर्ष से कक्षा 12 तक इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य शुरू हो जायेगा।
ये है वो जिलें-
बलिया
मथुरा
पीलिभीत
सरवनखेड़ा (कानपुर देहात)
अमरोहा
मनकापुर (गोंडा)
आंबेडकर नगर
मैनपुरी
महाराजगंज
विद्यालय में मिलने वाली खास सुविधाएं
बच्चों को शिक्षा के लिए विशेष तरीकों से सुविधाएं दी जाएगी – पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशालाएं ऑनलाइन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इन्ट्रेक्ट पैनल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) की कार्यशाला का आयोजन और ऑनलाइन लर्निंग मटेरियल भी शामिल है।
इसके अलावा पूरी तरह सुरक्षित आवासीय सुविधाएं और अनुशासित व्यवस्थाएं जैसे खाना, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी, पाठ्य पुस्तकें, भोजन, नाश्ता और दैनिक उपयोग की सामग्री की भी व्यवस्था की जाएगी।
नीट, जेईई और सीयूईटी की तैयारी के लिए अभ्युदय कोचिंग, अंग्रेजी बोलचाल की कक्षाएं, कौशल विकास प्रशिक्षण और खेलकूद की सुविधाएं भी दी जाएगी।
जागरण के खबर के अनुसार इस पहल से वर्ष 2025-26 में लाभार्थी छात्रों की संख्या बढ़कर 37,000 हो गई है। समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि सर्वोदय विद्यालय गरीब और वंचित समाज के बच्चों के सपनों को साकार करने का माध्यम बन रहे हैं।
समाज कल्याण विभाग की ओर से
समाज कल्याण विभाग के ओर से कहा गया कि 9 जिलों के सर्वोदय विद्यालयों में चालू सत्र 2025-26 से पढ़ाई की शुरुआत हो जाएगी।
मौजूदा समय में समाज कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग व अन्य वर्गों के छात्र-छात्राओं को निशुल्क आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मकसद से 58 जिलों में कुल 100 सर्वोदय विद्यालय चल रहे हैं। 45 विद्यालयों में आवासीय सुविधाओं का विस्तार भी किया जा रहा है। अब इन नौ नए विद्यालयों के शुरू होने से कुल स्कूलों की संख्या 109 हो जाएगी।
इन विद्यालयों में 85% छात्र ग्रामीण व 15% शहरी क्षेत्र से चयनित किए जाते हैं। इन विद्यालयों में 60% अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, 25% पिछड़ा वर्ग व 15% सामान्य वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जायेगा।
वैसे तो कथनी और करनी में बेहद फर्क होता है। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि विद्यालय की स्थिति कैसे चल रही है। अगर देखा जाये तो देश में कितने ही सरकारी विद्यालय हैं लेकिन विद्यालयों में शिक्षक नहीं है क्यों कि जो शिक्षक हैं वो नौकरी पाने के लिए सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। तो अगर पढ़ाने वाले ही नहीं रहेंगे तो स्कूल चलेगा कैसे? उम्मीद है कि 9 जिलों में खुल रहे विद्यालय का कार्य सफल हो और बच्चों के जीवन अंधकार में जाने से बच जाये।
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