31 अक्टूबर 2018, यूपी, Hindi News
21 फरवरी 2018 को जब लखनऊ में यूपी निवेशक समिट 2018 का आगाज़ हुआ था तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा करी थी कि यूपी में रोज़गार और विकास बढ़ेंगे। लेकिन दूसरी तरफ बाँदा में बना सदियों पुराना कताई मिल में, 90 के दशक के ताले लगे दिखाई दिए थे।
जब बाँदा में कताई मिल खुला तो लोगों के लिए रोज़गार के अवसर मिले जिसके चलते उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। क्योंकि ये अवसर उन्हें उनके गॉंव में ही प्राप्त हो रहा था। 80 के दशक का बना कपास मिल 1998 में बंद हो गया था। जिसे लगभग 1500 मजदूर बेरोजगार हो गए थे।
1990 में इसे बीआईएफआर के तहत एक बीमार उद्योग घोषित किया था। 2016 में मोदी सरकार ने इसे गैर-लाभकारी उत्पाद कंपनी मान लिया था। लेकिन किसान यूनियन अध्यक्ष के अनुसार इस मिल को ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के नज़रिए से ही शुरू किया गया था।
इस साल मई 2018 में इस मिल का निरिक्षण भी किया गया, लेकिन लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस मिल में शजर पत्थर का कारखाना खुलने की अफवाह भी उडी थी। लेकिन बाँदा ज़िले में बने कताई मिल और उनके मजदूर आज भी मिल खुलने का इंतजार कर रहे हैं।