खबर लहरिया Blog यूपी सरकार ने कोरोना महामारी से जुड़ी ‘फेक न्यूज़’ और अफवाह फैला रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का दिया आदेश

यूपी सरकार ने कोरोना महामारी से जुड़ी ‘फेक न्यूज़’ और अफवाह फैला रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का दिया आदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से सोशल मीडिया पर ‘फेक न्यूज’ और अफवाहें फैलाने वाले और माहौल खराब करने वाले लोगों की संपत्ति को जब्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही करने का आदेश दिया है।

कोरोना माहमारी की मार इस समय पूरा देश झेल रहा है। अगर आज के दिन आप सोशल मीडिया खोलते हैं तो कोई न कोई परिवार या तो ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए मदद मांग रहा होता है या परिजनों की अस्पताल के बाहर की रोती- बिलखती तस्वीरें आपके सामने आ जाती हैं। अब आम जनता के साथ-साथ नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी केंद्रीय सरकार से वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।

भारत अब विश्व में चौथा ऐसा देश बन चुका है, जहाँ कोरोना से सबसे ज़्यादा मौत के मामले सामने आए हैं। पिछले 24 घंटों में अब तक के सर्वाधिक 3.6 लाख नए संक्रमण के मामले आए हैं, इसके साथ ही कल यानी 28 अप्रैल को 3,293 मरीज़ों की मौत हुई। बता दें कि देश में अबतक कोरोना वायरस से 2 लाख से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं।

अफवाह फैला रहे लोगों की सम्पत्ति ज़ब्त करने का दिया आदेश-

उत्तर प्रदेश में भी संक्रमण दिन पर दिन आक्रामक रूप ले रहा है और यहाँ का स्वास्थ्य विभाग भी अब संक्षिप्त होता नज़र आ रहा है। कल यूपी में कोविड के 29, 828 नए मामले सामने आए हैं और 266 मौतें हुई हैं। यूपी में लोग अपनों की जान बचाने के लिए ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम का सहारा ले रहे हैं और सोशल मीडिया की मदद से अबतक हज़ारों मरीज़ों की जानें बच चुकी हैं। ऐसे में यूपी सरकार ने सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के अस्पतालों और मरीज़ों को लेकर जानकारी दे रहे लोगों के लिए अहम आदेश जारी किए हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 अप्रैल को अधिकारियों से सोशल मीडिया पर ‘फेक न्यूज’ और अफवाहें फैलाने वाले और माहौल खराब करने वाले लोगों की संपत्ति को जब्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार ने ट्विटर पर जो लोग केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कुछ भी पोस्ट कर रहे थे, उनके अकाउंट भी बैन कर दिए हैं। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर ने लोगों के अकाउंट बैन और भड़काऊ पोस्ट्स हटाने का फैसला सरकार के निर्देशों पर किया है।

‘द हिन्दू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हटाए गए ज़्यादातर ट्वीट्स देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बिगड़ते हालात, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की कमी, शमशाम घाट में बड़े पैमाने पर लगी लाशों की लाइन और कुंभ मेले के कारण कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर थे। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेरा, संसद के सदस्य रेवांथ रेड्डी, एबीपी न्यूज़ के संपादक पंकज झा जैसे कई मशहूर नाम ट्विटर के घेरे में आए लोगों की लिस्ट में शामिल हैं।

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अमेठी में सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए अपील कर रहा व्यक्ति हुआ गिरफ्तार-

इसके अलावा 26 अप्रैल को अमेठी का एक मामला सामने आया है जहाँ पुलिस ने एक व्यक्ति को इसलिए गिरफ्तार कर लिया है क्यूंकि उसने ट्विटर पर अपने परिजन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करने की अपील की थी। द स्क्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने व्यक्ति पर दहशत का माहौल पैदा करने का और अफवाह फैलाने का आरोप लगाया है।

पुलिस का कहना है कि शशांक द्वारा किये गए ट्ववीट में कहीं भी मरीज़ के कोरोना पॉजिटिव होने का उल्लेख नहीं किया गया था। दुःख की बात तो यह कि ऑक्सीजन न मिल पाने से शशांक के नाना की मृत्यु भी हो गई। बाद में अमेठी पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए जानकारी दी कि उनकी मौत कोरोना के कारण नहीं बल्कि हार्ट अटैक पड़ने से हुई है। इस मामले को लेकर देशभर के कई लोगों ने योगी सरकार को गलत ठहराया है और उनसे जनता को और परेशान करने के बजाय उनकी मदद करने की अपील की है।

https://twitter.com/shashankdy999/status/1386683781956870145?s=20

 

प्रदेश में ऑक्सीजन की नहीं है कमी- योगी

इससे पहले जब यूपी सरकार ने 25 अप्रैल को सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वाले लोगों की संपत्ति ज़ब्त करने का आदेश दिया था, तब भी लोगों ने सरकार के इस फैसले का समर्थन न करते हुए आवाज़ें उठायी थी। इंडिया डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों के साथ हुई प्रेस कांफेरेंस में कहा है कि, ‘प्रदेश के किसी भी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। और समस्या कालाबाज़ारी और जमाखोरी की है, जिससे सख्ती से निपटा जाएगा। हम आईआईटी कानपुर, आईआईएम लखनऊ और आईआईटी बीएचयू के साथ मिलकर ऑक्सीजन का एक ऑडिट करने जा रहे हैं ताकि इसकी उचित निगरानी हो सके।‘ मुख्यमंत्री योगी के अनुसार हर संक्रमित मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं पड़ती, और इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने मीडिया से सहयोग की अपेक्षा जताई थी।

जहाँ एक तरफ यूपी सरकार यह दावा कर रही है कि राज्य में न ही ऑक्सीजन की कमी है और न ही बेड की। लेकिन आकंड़ें कुछ और ही बता रहे हैं, आए दिन किसी न किसी अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप्प पड़ने से मरीज़ की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया जो इस समय कई मरीज़ों और उनके परिजनों के लिए अहम भूमिका निभा रहा है, वहीँ इस महामारी से लड़ने के लिए सरकार कई मौकों पर लापरवाही बरतते हुए दिखी। ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार सोशल मीडिया पर चल रही फेक न्यूज़ को लेकर कदम उठाने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने की रणनीतियां भी बनाए। कोरोना महामारी से हम तभी निपट पाएंगे जब जनता और सरकार एक साथ मिलकर इससे लड़ने के लिए आगे आएँगे।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।