उत्तर प्रदेश सरकार मानती कि “प्रधानमंत्री आवास योजना” को सफलतापूर्वक लागू करने और गरीबों को घर देने में यूपी सबसे आगे है। हक़ीक़त तो यह है कि हज़ारों गरीब परिवार आज भी इस लाभ से वंचित है और इसे बताने के लिए कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज़ भी नहीं है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 एकदम दहलीज़ पर है। राजनितिक पार्टियों ने भी वादों की लड़ी लगा रखी है। कोई कहता है बिजली देंगे, पानी देंगे, विकास करेंगे, ग्रामीणों को आवास मिलेगा और न जाने क्या-क्या। उफ़्फ़्फ़………पार्टियां चुनावी त्यौहार में कितना कुछ देने को आतुर है पर दिक्कत बस यही है कि इनमें से किसी भी सुख का लाभ अधिकतर ग्रामीणों को नहीं मिला है।
आज हम एक परेशानी पर गहराई से बात करेंगे लेकिन इसके साथ आपको और भी कई समस्याएं देखने को मिलेंगी। साल 2015 में जब केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना शुरुआत की गयी थी तो यह लक्ष्य रखा गया था कि साल 2022 तक सभी पात्र लोगों को पक्का घर दे दिया जाएगा। योजना का मुख्य उद्देश्य था कच्चे, जर्जर घरों और झुग्गी-झोपड़ी से देश को मुक्त बनाना।
यह साल 2022 है और चुनाव भी है। उत्तर प्रदेश सरकार मानती कि “प्रधानमंत्री आवास योजना” को सफलतापूर्वक लागू करने और गरीबों को घर देने में यूपी सबसे आगे है। हक़ीक़त तो यह है कि हज़ारों गरीब परिवार आज भी इस लाभ से वंचित है और इसे बताने के लिए कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज़ भी नहीं है।
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60 फीसदी से अधिक काम किये जाने का दावा
विभाग दावा करता है कि आवास के लक्ष्य का तकरीबन 60 फीसदी से ज़्यादा काम पूरा हो गया है। योजना के ज़रिये हर साल गाँवों में गरीबों को आवास दिए जाते हैं। इसके बावजूद भी लोग कच्चे मकानों में रह रहे हैं। विभागीय आंकड़े कहते हैं, पिछले साल यानी साल 2021 में साढे़ सोलह हज़ार से अधिक आवासों के निर्माण का लक्ष्य था जिसमें करीब 11 हज़ार आवासों का निर्माण पूरा हो चुका है।
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जानें क्या कहता है ग्रामीण मतदाता
बाँदा जिला के नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कटरा कालिंजर : अगर इस जगह की बात करें तो खबर लहरिया ने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान देखा कि बहुत से गरीब परिवारों के घर यहां बारिश की वजह से गिर चुके हैं। उन्हें आवास भी नहीं मिला। लोगों ने बताया, उनके यहां लगभग 25 सौ वोटर हैं जिनमें से सैकड़ों लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। वह पात्र लोग हैं फिर भी कच्चे और टूटे घरों में रहने को मज़बूर हैं। सरकार हर घर को छत देने की बात तो कहती है पर ऐसा दिखाई नहीं देता।
मुगौरा गांव की रहने वाली महिला सियारानी और मेडिया बताती हैं, वह बिल्कुल भूमिहीन हैं। उनके पास रहने के लिए जो टूटा-फूटा कच्चा घर था वह भी बारिश में बुरी तरह गिर गया है। वह लोग जैसे-तैसे उस घर में रह रहे हैं। वह लोग कटाई-बुनाई आदि काम करके अपना परिवार चलाते हैं।
वह आगे कहतीं, कुछ बच्चे परदेस चले जाते हैं और वहां से कमा कर लाते हैं तो उसी से खाते हैं। उन्होंने कई बार गाँव के प्रधान से प्रधानमंत्री आवास की मांग की ताकि उन्हें भी सिर ढकने के लिए छत मिल जाए लेकिन अभी तक कोई सुनवाई ही नहीं हुई। उन्होंने बताया, उनके ग्राम पंचायत का जो प्रधान था वह कहने पर सिर्फ आश्वासन देता है। जिसने उसे पैसे दिए सिर्फ उसे ही आवास मिला। अगर कोई प्रत्याशी वोट के लिए आता है तो सबसे पहले वह यही बात आगे रखेंगी।
बडोखर खुर्द गांव की गौरा बताती हैं, उनका पूरा घर कच्चा है और उसमें एक कमरा है। वह भी गिरने की कगार पर है। वह चार महीने घर में रहती हैं और आठ महीने ईंट-भट्टे में रोज़गार के लिए परिवार सहित काम के लिए जाती हैं। बारिश के समय पन्नी डालकर 10 लोगों का परिवार एक छोटे से कमरें में रहता है। वह कहती, वह यहीं सोच रहीं हैं कि वह इस बारे वोट नहीं डालेंगी।
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सरकार पर भरोसा नहीं रहा
चित्रकूट जिले के टिकरिया गांव की गेदिया और संगीता बताती हैं कि एक पक्की छत पाने के लिए वह सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुकी हैं। लिस्ट में नाम भी आ गया है। इसके बावजूद उनको अभी तक आवास नहीं मिला है। उन्हें और उनके गांव के तमाम गरीब परिवारों को उम्मीद थी कि प्रदेश में चुनाव हैं तो वादे के मुताबिक सरकार अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर बढ़ेगी और उन्हें पक्का घर मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दशरथ पुरवा की कमला कहती है कि वह सरकारी दफ़्तरों और प्रधान के चक्कर काट कर थक चुकी हैं। अब ऐसे में एक गरीब व्यक्ति पेट भरने के लिए मजदूरी करे या फिर कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर काटें। हमें अब सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं। सब चुनावी जुमले हैं। जब चुनाव आता है तो लॉलीपॉप की तरह वोटरों को लुभाने के लिए हर तरह की योजनाएं निकाली जाती हैं। उन्हें अभी तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला तो वह आगे क्या भरोसा करें।
जनता आखिर सरकार पर विश्वास करे भी तो कैसे, जब हर किये वादे हर चुनाव में झूठे साबित हो जाते हैं। सरकार कहती है कि 60 फीसदी आवास का काम हो चुका है तो बाकी का 40 फीसदी कब होगा? अब क्या इसके लिए फिर कोई लक्ष्य या कोई नई तारीख रखी जायेगी?
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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