गांव के लोग लगातार इस सड़क की मरम्मत की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक न तो सड़क बनीं और न ही कोई अधिकारी मौके पर देखने गया है।
लेखन – कुमकुम, रिपोर्ट – सुनीता
चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक में बोझ गांव से लेकर बरगढ़ तक जाने वाली सड़क पिछले करीब 10 वर्षों से जर्जर हालत में है। इस रास्ते पर बड़े-बड़े गिट्टे और गड्ढे पड़े हैं, जिससे आए दिन साइकिल पंचर होती है और लोग गिरकर घायल हो जाते हैं। गांव के लोग लगातार इस सड़क की मरम्मत की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक न तो सड़क बनीं और न ही कोई अधिकारी मौके पर देखने गया है।
यह सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत लगभग 5 किलोमीटर लंबी है और कई गांवों जैसे बोझ, हर्दीकला ललई, मुरका, अरवारी समेत करीब 10 गांवों के लोग इसी सड़क से बरगढ़ बाजार आने जाने के लिए मजबूर हैं। गर्मी में तो किसी तरह निकल जाते हैं, लेकिन बरसात के मौसम में हालात बेहद खराब हो जाते हैं। सड़क में बड़े-बड़े गड्ढों में पानी भर जाता है और अंदाजा ही नहीं लग पाता कि गड्ढा कितना गहरा है। कई बार बाइक या साइकिल सवार इन गड्ढों में गिर चुके हैं।
बरगढ़ की सडक बना दर्द भरा रास्ता, रोजाना गिरने-चोट खाने की मजबूरी
मुरका गांव के मंगल का कहना है कि हम लोग इसी सड़क हर दिन बरगढ़ बाजार सामान खरीदने जाते हैं, क्योंकि हमारी दुकान है और रोजाना सामान लाना पड़ता है। यह सड़क बरगढ़ के लिए सड़क हैं और पास पड़ता है करीब 10 किलोमीटर। अगर बरगढ़ मोड़ से जाएं तो 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसलिए हम लोग सालभर इसी रास्ते से आते-जाते हैं। अभी एक महीना पहले हम इसी रास्ते में गिर गए थे, जिससे हमारे पैर में मोच आ गया था। काफी दवा कराने के बाद अब जाकर ठीक हुआ है। इस तरह से सड़क खराब होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
सपनों की राह में रोड़ा बनी गड्ढों से भरी सड़क
बोझ गांव की रहने वाली रीता का कहना है कि हम लोग जुलाई से स्कूल जाएंगे, लेकिन इसी सड़क में बहुत परेशानियां होती हैं। इतने बड़े-बड़े गड्ढों में पानी भरा रहता है कि जब चार पहिया वाहन तेजी से निकलते हैं, तो गंदा पानी हम लोगों के ऊपर छिटकता है, जिससे पूरा कपड़ा और बस्ता खराब हो जाता है।
साइकिल पंचर, पेपर लेट और पैदल सफर
मुरका गांव के शिवांश का कहना है कि पिछले साल हम लोग पढ़ने जा रहे थे, बोर्ड का पेपर था। इस सड़क में जो बड़े-बड़े गिट्टे पड़े हैं उसी में हमारी साइकिल पंचर हो गई थी। फिर जो आधा घंटा की दूरी थी वह डेढ़ घंटे में पैदल तय करनी पड़ी। उस दिन हिंदी का पेपर था और हम एक घंटा लेट पहुंचे थे।
जब विधानसभा का चुनाव था भाजपा के नेता श्याम नारायण साल 2022 गांव में आयें और वादा किया भी किये कि चुनाव जीतने के बाद इस सड़क को बनवा देंगे लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई नहीं आया। नेता लोग बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में कोई नहीं आता।
इस रास्ते से हजारों लोग निकलते हैं, लेकिन इसे बनवाने की बात कोई नहीं करता। खासकर इस समय जब शादी-विवाह का सीजन चल रहा है, तो हर दिन लोग बाजार करने निकलते हैं और जब रास्ते में साइकिल या गाड़ी पंचर हो जाती है, तो कड़ी धूप में पैदल चलना पड़ता है।
सड़क मरम्मत को लेकर पीडब्ल्यूडी का जवाब
पीडब्ल्यूडी के अभिशाषी अभियंता सकसेना का कहना है कि पीडब्ल्यूडी विभाग ने बरगढ़ क्षेत्र की जितनी भी सड़कें हैं, उनकी स्थिति जांचने के लिए जेई को सर्वे करने का निर्देश दिया है। सर्वे में जो सड़कें खराब पाई जाएंगी, उन्हें मरम्मत या निर्माण के लिए प्रस्तावित किया जाएगा। यदि शिकायत की गई सड़क सर्वे में आती है, तो उसे भी बनवाया जाएगा।
जूनियर इंजीनियर (जेई) अखिलेश कुमार, जो बरगढ़ क्षेत्र देखते हैं, उनका कहना है कि अरवारी से बरगढ़ तक की जो सड़क है, उसमें कुछ हिस्सा पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आता है, जबकि कुछ सड़क जिला पंचायत के अधीन है।
जितनी सड़कें पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत हैं, उन्हें पूरा करवा दिया जाएगा लेकिन लगभग तीन किलोमीटर सड़क जिला पंचायत के अंतर्गत आती है। उसे या तो जिला पंचायत ही बनवाए, या फिर वह हिस्सा पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर कर दे, ताकि उस सड़क को विभाग द्वारा बनाया जा सके।
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