खबर लहरिया ताजा खबरें UP Bundelkhand: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा, बुंदेलखंड में आज भी जीवित परंपरा

UP Bundelkhand: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा, बुंदेलखंड में आज भी जीवित परंपरा

दीपावली के अगले दिन यानी दूसरे दिन, भारत के कई हिस्सों में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। यह त्योहार खासकर उत्तर भारत के गांवों में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाते हैं और उसके सामने दीप जलाते हैं। 

फोटो साभार: सुनीता

रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम

बुंदेलखंड में परंपरा का तरीका

बुंदेलखंड के गांवों, जैसे चित्रकूट, महोबा, बांदा और आसपास के क्षेत्र, गोवर्धन पूजा को आज भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यहाँ की परंपरा अन्य जगहों से थोड़ी अलग है। गांव में लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाते हैं, जिसमें छोटे-छोटे पात्र और आकृतियां बनाई जाती हैं। इनमें आदमी, महिला, बैल, कुत्ता, पहरेदार और चकरी आदि शामिल होते हैं। साहबगंज चित्रकूट की निवासी रेखा बताती हैं कि पहले दीपावली की रात, जब जानवर गांव में बंधे रहते थे, यादव समुदाय के लोग रात 12 बजे से उन्हें जगाना शुरू कर देते थे। वे गांव-गांव जाकर गाते थे  जग-जग गौ माता’। इसी परंपरा से गोवर्धन पूजा जुड़ा है।

फोटो साभार: सुनीता

पहले लोग सुबह जल्दी उठकर गोवर्धन बना लेते थे और अपने काम में चले जाते थे। अब ज्यादातर लोग पहले चित्रकूट में दीपदान करने जाते हैं और शाम को लौटकर अपने घर में गोवर्धन बनाते हैं। बुंदेलखंड में लोग मानते हैं कि अगर दीपावली के दूसरे दिन गलती से गोबर की कंडे बन जाए, तो यह अशुभ होता है। इसलिए लोग इस दिन विशेष ध्यान रखते हैं।

दीप और पकवान

फोटो साभार: सुनीता

यादव जाति के लोग कम से कम एक हफ्ता गोवर्धन में देशी घी के दिए जलाते हैं, जबकि अन्य समुदाय तीन दिन तक दीप जलाते हैं। गोवर्धन पूजा में कई प्रकार के पकवान और मीठे भोजन भी गोवर्धन पर डाले जाते हैं। गोवर्धन बनाने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। लोग सजावट के लिए सेन्दूर, रूई, झाड़ू, मिट्टी के दीए और घर में उपलब्ध सामग्री का उपयोग करते हैं।

तीसरे दिन की परंपरा

फोटो साभार: सुनीता

गोवर्धन का जो “सिर” होता है, उसे लोग अपने अनाज में रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साल भर घर में अनाज की कमी नहीं होगी। हर रात गोवर्धन के आसपास दीए जलाए जाते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

समाजिक और सांस्कृतिक महत्व

फोटो साभार: सुनीता

गोवर्धन पूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह गांव की संस्कृति और सामूहिक जीवन की भी पहचान है। बुंदेलखंड में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी सभी बड़े-छोटे लोग इसे पूरी श्रद्धा से निभाते हैं।

गोवर्धन पूजा बुंदेलखंड में सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा है। यह परंपरा लोगों को अपने पर्यावरण, जानवरों और कृषि जीवन के महत्व से जोड़ती है। यहां लोग कहते हैं ।

“ऐसी मान्यता है कि जहां गोवर्धन पूजा होती है, वहां साल भर अन्न-धन की बरकत रहती है।”

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *